10 मई 2021: देशनोदय चवलेश्वर- निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव मुलाचारी आत्मा108 श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा
अच्छा को स्वीकार मत करो,बुरे से भागो मत पुण्य पाप में हर्ष विषाद मत करो आप केवल वस्तु को जानो
1.अच्छा चिंतन-ज्ञानी को बुरी वस्तु मैं भी अच्छा विचार आता हैं, दुष्ट का चिंतन मत करो, गलत लोगों के साथ मन खराब हो जाएगा, एक मरी वेश्या को देखकर तीन व्यक्ति ने एक कुत्ते ने देखकर कहा, इसे छोड़ दे तो मेरे खाने के काम आ जाएगा, दूसरा व्यक्ति वह कितनी सुंदर वेश्या थी मे इसका भोग नहीं कर पाया था, इसको देखकर अच्छा लग रहा है मेरी आंखें इसको आर्यिका के रुप मे देखे ,किसी को पाप करने का भाव आता है और किसी को आर्यिका बनने का देखते हैं।
2.जीव की कमजोरी-पुदगल द्रव्य किसी की सहायता नहीं करता, बगैर उसको मदद मांगने पर पुदगल द्रव्य कभी काम नहीं आता, परमाणु किसी काम का नहीं उपयोग रहीत है, पुदग्ल द्रव्य जानता है कि जीव द्रव्य वह मेरे पास आएगा क्योंकि जीव द्रव्य अपनी संपत्ति को नहीं पहचानता, दूसरे के संपत्ति को लेना चाहता है कि इस जीव द्रव्य की कमजोरी को पुद्गल द्रव्य हमारा उपयोग करता है, पुदग्ल द्रव्य का कर्त्तव्य है कि हमारा कार्य करें लेकिन जीव द्रव्य की कमजोरी के कारण पुदग्ल द्रव्य फायदा उठा रहा है
3.केवल जानो-तुम मात्र जानो अच्छा को स्वीकार मत करो ,बुरे से भागो मत, पुण्य पाप में हर्ष विषाद मत करो, आप केवल जानो जो कर्म उदय में आ रहा है ,उसको जानो ये साधना शुरू करो ,मुझे केवल जानना है ,पर से कार्य नहीं कराऊंगा।
4.चारो द्रव्य शुद्ध-वह स्वावलंभी दशा जो हमारी आत्मा के त्रिकालवर्ती लिए बैठी है उदासीन रूप से प्रकृति में भागीदारी निश्चित कर दिया प्रकृति ने हमारे काल द्रव्य निश्चित किया है मेरे कार्य में कॉल द्रव्य कार्य करे तो हम काल द्रव्य ऋणी हो जाएंगे काल द्रव्य का कर्तव्य है कि वह हमारी मदद करें धर्म द्रव्य,अधर्म द्रव्य आकाश द्रव्य का कर्तव्य है कि हम नहीं कहते कि हमारे लिए कार्य करें हमने नहीं कहा चारो द्रव्य हमारा कर्तव्य समझ करके हमारे लिए कार्य करता हैं
5.प्रतिदिन का फायदा-आप प्रतिदिन भगवान के चरणों में जाते हैं 1 दिन नहीं आए मुर्ती कहती है उसको तकलीफ दूर कर देती है पेड़ के नीचे जाते हो 1दिन नहीं जाओगे तो आपके लिए तड़प जाएगा आपकी तकलीफ दूर कर देगा हर वस्तु से ऊर्जा निकलती है।
प्रवचन से शिक्षा-चारों द्रव्य शुद्ध है हमारे कार्य करते है पुदग्ल द्रव्य चालाक है हमारा कार्य नहीं करता हैं
सकंलन ब्र महावीर