3मई 2021- देशनोदय चवलेश्वर- निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव मनोज्ञ 108 श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा
हम दुसरे के बंधन मे नहीं रहंगे हम दूसरे को बंधन में नहीं बांधंगे
1.चार प्रकार की इच्छा-मैं स्वयं का कार्य, स्वयं करूं और इतनी इच्छा है ना पालो, एक दूसरे से कराना पड़ेगी, यह पहले प्रकार के व्यक्ति हैं, दूसरा वह व्यक्ति हैं मैं पापी की इच्छा पूरी नहीं करनी पड़ेगी, पापी के कार्य मे करु कोई नहीं चाहता, हम संकल्प करें कि मैं पापी से अपनी इच्छा पूरी नहीं करनी पड़े ,परायों से हमने क्यों इच्छाए करनी पड़ी,तीसरी अपनों से भी काम ना कराना पड़े ,ऐसी इच्छा न करना पड़े कि अपनों से काम करना पड़े ,चौथा मां-बाप से इच्छाए पूरी कराते हैं ,अपनी इच्छाओं मां बाप से नहीं करानी पड़ेगी, पूरी ताकत लगाकर अपनी इच्छाएं पूरी कराना चाहते हैं ,यह हम अपनी इच्छाएं स्वयं पूरी करें।
2.बेटे को रोटी बनाना सिखना-हर बेटे को अपनी मां बाप के लिए रोटी बनाना सीखना है ,उनको अपने हाथ से रोटी बना के खिलाना है, जिसके देवता लोग भी उसकी पूजा करेंगे ,हमने मां से तो बहुत रोटियां बना कर खाई हैं।
3.बंधन-हम दुसरे के बंधन मे नहीं रहंगे, हम दूसरे को बंधन में नहीं बांधंगे ,हम दूसरे के बंधन में नहीं बंधगे ,लेकिन ये भाव नहीं आता, दूसरे को बंधन में नहीं बांधगे, हम नौकर तो बनाना चाहते हैं, लेकिन हम नौकर नहीं रहना चाहते।
4.आजादी-हर व्यक्ति स्वतंत्र आजाद होना चाहता है मन,वचन,काय से स्वतंत्रता चाहता है ,यह आजादी प्राणी मात्र के लिए चाहिए पेड़ पौधे कीड़े मकोड़े की आजादी है ,यह वास्तविक आजादी है ,इसकी चर्चा शास्त्रों में नहीं की गई क्योंकि यह तो स्वभाव है सभी चाहते हैं।
5.मा बाप की इच्छा-हर बेटे को अपने मां-बाप की इच्छा पूरी करनी है, उसने बहुत बार बचपन से आज तक अपनी इच्छाएं पूरी कराई है, अब उसे बड़ा होने के बाद अपने मां-बाप की इच्छा पूरी करनी है, आप क्या चाहते हैं, आप उनकी इच्छा पूरी करनी हैं, दिन में एक बार कम से कम,त्यौहार पर इच्छा पुरी करनी हैं।
प्रवचन से शिक्षा-हर बेटे को मां बाप के लिए रोटी बनाना सीखना
सकंलन ब्र महावीर