देशनोदय चवलेश्वर-निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव प्रखर चिन्तक 108श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा
भक्त और भगवान का संबंध कमल और सूरज जैसा होना चाहिए
1.समर्थवान कौन-अज्ञानी जब संबंध जोड़ता है तो वह सोचता है कि बडो से कुछ मिल जाए इसलिए संबंध जोड़ता है ज्ञानी सबंध इसलिए जोड़ता है कि मुझे उनसे कुछ नहीं चाहिए मैं उनके चरणों में झुक जाऊं उनके प्रति समर्पित हो जाऊं जैसे चक्रवर्ती 32000 मुकुटबद्ध राजाओं को छोड़कर भगवान के चरणों में समर्पित हो जाते हैं वह महान है अज्ञानी इसीलिए सबंध नहीं जोड़ता है ये महान है बल्कि मे असमर्थ हु इसलिए जोड़ता हैं
2.सबंध कैसा-भक्त और भगवान का संबंध कमल और सूरज जैसा होना चाहिए सूरज निकलता है कमल खिल उठता हैं सुरज को कमल से कुछ नहीं मिलता है कमल आनंदीत हो जाती है सूरज के निकलने पर आनंद मनाता है खुशियां मनाता हैं
3.समर्थवान की छाया-हर व्यक्ति अपने से समर्थवान की छाया चाहता है उनसे कुछ चाहता है वह जानता है कि मैं अकेला नहीं रह सकता किसी ने किसी की जरूरत है हर व्यक्ति ऐसी शक्ति चाहता है कि जब मेरा पुण्य कम पड़ता है उसका पुण्य काम आ जाए।
4.माता पिता कैसे चाहते-आजकल माता-पिता को बहु और बेटे बहूत चाहते हैं क्योंकि बच्चों की परवरिश के लिए नौकर के रूप में माता-पिता को चाहते हैं।
प्रवचन से शिक्षा-बेटे को पढ़ाने मे अपना सब कुछ बेच देता है बेटी के लिए नहीं करता
सकंलन ब्र महावीर