निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव 108 श्री #सुधासागर जी महाराज ससंघ का सात साल बाद कोटा नगरी में भव्य मंगल प्रवेश

0
1964

कोटा का क से बहुत गहरा रिश्ता रहा है सर्व प्रथम तो कहावत है कि कोटिया नामक भील से इस शहर का नाम कोटा पड़ा है और देखा जाए तो ” क “से कोटा क कोटा स्टोन, क से कोटा डोरिया की साड़ी, क से कोटा की कचोरी, क से क से कोचिंग, ओर कोचिंग के नाम से संपूर्ण विश्व में सुविख्यात मां चर्मण्यवति के पावन तट पर स्थित औद्योगिक एवं धर्म प्राण कोटा नगरी में संत शिरोमणि प्रातः स्मरणीय आचार्य 108 विद्यासागर जी महाराज महामुनिराज के प्रिय शिष्य निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव 108 श्री सुधासागर जी महाराज ससंघ का अतिशय तीर्थ क्षेत्र चवलेश्वर से मंगल विहार करते हुए सात साल बाद कोटा नगरी में भव्य मंगल प्रवेश हुआ । इस स्वर्णिम शुभ अवसर पर कोटा के श्रद्धालुओं अपनी श्रद्धा भक्ति और समर्पण से गुरुदेव ससंघ की भव्य भावभीनी अगवानी की ।समस्त मंदिरों को खूब सजाया गया जगह-जगह स्वागतद्वार रंगोलियां एवं पाद प्रक्षालन किए गए।मुनि श्री के पावन सानिध्य में कुन्हाड़ी स्थित पारसनाथ एनक्लेव के पारसनाथ कोर्ट यार्ड में बनने वाले श्री 1008 श्रीआदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर का पूजन प्रदीप जैन प्रकाश जैन परिवार एवम प्रदीप दाधीच ने किया।

दिनांक 12 जुलाई 2021 को रिद्धि सिद्धि स्थित श्री 1008 चंद्रप्रभु दिगंबर जैन मंदिर से निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव 108 श्री सुधासागर जी महाराज (ससंघ) का मंगलविहार कोटा नगर के विभिन्न जिन मन्दिरों के दर्शन करते खाई रोड, लाडपुरा, रामपुरा, पुरानी सब्जी मंडी, गन्धीजी की पुल टिपटा, गढ़ पैलेस, दशहरा मैदान से सीएडी सर्किल होते हुए दादाबाड़ी बड़े चौराहा, छोटा चौराहा होकर जिन मन्दिरों के दर्शन करते हुवे पुण्योदय अतिशय क्षेत्र नसियां जी दादाबाड़ी में भाव भीना मंगल प्रवेश हुआ।नसियां जी के अध्यक्ष जम्बू जैन सराफ ने बताया कि मुनि श्री सुधा सागर जी महाराज ससंघ का विगत 4 जुलाई 2021को अतिशय तीर्थक्षेत्र चवलेश्वर से मंगल विहार हुआ था।*

निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव मिथ्यात्व भंजक108 श्री सुधासागर जी महाराज ने दादाबाड़ी स्थित पुण्योदय अतिशय क्षेत्र परिसर के विशाल प्रागण धर्म सभा को संबोधित करते हुवे अपनी अमृत वाणी में प्रवचन देते हुवे कहा कि पूंज का महत्व-घर से हाथ में पुंज लेकर निकलो तो निर्भय हो जाना तुम्हारी अनुभूति में आना चाहिए पुण्योदय के आदिनाथ भगवान है मर जाऊँगा तो इनकी शरण है मैढंक ने ये नहीं सोचा बचुंगा या मरूंगा उसने ये सोचा ही नहीं ऐसे ही अंजनचोर ने णमोकार मिलने के बाद नहीं सोचा कहा जाऊँगा जिदंगी में एक ऐसा साथी बनाना जो भवान्तर में मिल जाये मात्र एक ही साथी है जो मर जाने के वाद मिल जायेगा वो है णमोकार मंत्र ।

जो आपके साथ हमेशा रहेगा एक बार वस्तु को पहचानो बेटा माॅ को नहीं दूध को जानता है तब ही तो एक चाकलेट में बच्चा किडनेप हो जाता है नदी की धारा जब तेज हो तब धारा के साथ बहोगे तो किनारा मिल जायेगा प्रकृति एक ही धारा में बहती है संसारी व्यक्ति प्रकृति के समाने नतमस्तक होता है देवता तो मुनियो के पीछे होते हैं भगवान के बाद सबसे बड़ी शक्ति होती हैं साधु संत और संत जहाँ झुक जाते है समझ धरती के वे सबसे बड़े महादेवता है धर्मसभा का सफल संचालन गोपाल जैन एडवोकेट , महेन्द्र जी कासलीवाल विजय धुर्रा ने किया चित्र अनावरण- विनोद जैन जी टोरडी, राजेश जी आनंद डाइग्नोस्टिक, प्रदीप जी पापड़ीवाल, विनोद जीआ सर्राफ
पाद प्रक्षालन- पदम जैन राजेन्द्र कुमार हुकुम काका प्रकाश जैन प्रतीक जैन वैभव जैन तक्ष जैन हरसौरा परिवार ने किया।संगीत की मधुर ध्वनियाँ सिंगर सौरभ सिद्धार्थ ने बिखेरी।

– पारस जैन पार्श्वमणि पत्रकार कोटा