देशनोदय चवलेश्वर- निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव जिज्ञासा समाधान प्रतिपादक 108श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा
धर्म कार्य को अपना कर्तव्य,धर्म समझ कर करें
1.चार व्यक्ति मे कौन अच्छा-बड़ों के ऊपर जब भी कुछ करेंगे बड़े कहते हैं ये मेरा धर्म था हमारा कर्तव्य था बड़ा बनने का यह उपाय १ भाव जब आए आपका कोई कार्य करने पर प्रदर्शन का भाव है किसी ने मेरा कार्य को नहीं देखा मैं बता दूं २ भाव कार्य मेरे बगैर नही हो सकता मैंने इतना कार्य किया मेरा किसी ने आभार नहीं माना कोई प्रशंसा नहीं कर रहा है पहले भाव से दोगुना गति से गिरोगे और तीसरा भाव जब जब हमारे कुछ अच्छा करें मेरे किसी ने आभार ही नहीं मैंने इतना कार्य किया और ये दो कार्य भी किए थे यह और तेजी से नीचे गिरोगे तीनों में ,जबकि पुण्य बढ़ाने का तरीका है सज्जन पुरुष कार्य कब करता है यह खबर किसी को नहीं लगे यह सोचता है और कार्य करता हैं।
2.महिला-भारतीय महिला अपने पति की जेब से चोरी करके रुपए इकट्ठा करती हैं जब संकट आता है तब वह रुपया काम आता है पति के पास जब ज्यादा धन आता है वह अपने पति से जिद करके सोने के आभूषण आदि बनाती हैं और जब पति व परिवार पर संकट आता है तो वह आभूषण काम मे आते हैं।
3.दुखी-व्यक्ति कहता है मैंने बहुत दुख उठाएं मैं दुखों को सहन कर लूंगा मैं कल भी दुखी रहूंगा यह नहीं सहन कर पाऊंगा मैं आज दुखी हूं कल सुखी हो जाऊंगा यह बात से हमारा दुख कम हो जाता हैं।
प्रवचन से शिक्षा-अच्छा व्यक्ति वो होता है जिसकी कोई प्रंशसा करें या नहीं करे वह अपना कार्य करता हैं।
सकंलन ब्र महावीर