अपने पेट के लिए पाप नही करना पडता, बहुत से पेटो के लिए पाप करना करना पड़ता है और इनके साथ पेटी भी जुड़ जाती है : मुनिपुंगव श्री सुधासागर
निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा
जग सुधरेगा तो मैं सुधर जाऊगा नहीं,मैं सुधर जाऊँगा तो शायद जग सुधर जाएगा
1.सर्वोत्कृष्ट मुनि चर्या छिद जाये,भिद जाये,कट जाएगा,मर जायेगा तो भी पर पदार्थ का ग्रहण नहीं करते हैं,वास्तविक मुनि,निरालम्भी दशा ये अंदर की साधना,तपस्या से ये होगा मुनि ये विचार करता हैं मौत से ज्यादा क्या होगा, बाहुबली भगवान ने ऐसी निरालंब दशा मे रहे,बाहुबली भगवान ने पैर आंख नाक कान पलक आदि कुछ भी 1 वर्ष तक हलन चलन नहीं हुआ।
2.प्रकृति कहती है तुम मुझे बदलने की कोशिश मत करना तुम स्वयं बदल सको तो बदलो, विचार करो दुनियां हम सुधार नही सकते स्वयं को ही सुधरना होगा,तीर्थंकर संसार को नही सुधार पाए आप ओर हम है ही क्या।
3-जैन दर्शन ने एक रास्ता निकाला बहुत सारे पापो से हम बच सकते है , हम बहुत सारे पेटो की चिंता करते है उसमे पाप है अपने पेट के लिए पाप नही करना पडता,बहुत से पेटो के लिए पाप करना करना पड़ता है और इनके साथ पेटी भी जुड़ जाती है ।
4.दुनिया को नहीं बदला जा सकता स्वयं को बदलना होगा,दुनिया को नहीं समझना है स्वयं को समझना,कुएँ को नहीं छानना है लौटे को छानना है,जग सुधरेगा तो मैं सुधर जाऊगा नहीं, मैं सुधर जाऊँगा तो शायद जग सुधर जाएगा।
5. संसार अपवित्र कीचड़ है और रहेगा तीर्थंकर के सामने भी सप्तव्यसन होते थे सौधर्म इन्द्र भी आते थे दुनिया का रास्ता मत बदलो,स्वयं का सही रास्ता बना लो।
6.तुम्हारी इच्छानुसार नहीं मिलेगा, तुम्हारे जीवन के अनुसार मिलेगा तुम्हारी रसना इन्द्रियों को जो चाहिए वह नहीं मिलेगा,गृहस्थ जीने के लिए नहीं खाने के लिए जीता है पेट भरने के लिए स्वादिष्ट बनाने के लिए भोजन की चिंता मत करो,साधना के लिए मिलेगा,ये विकल्प मुनि को नहीं होना चाहिए।
शिक्षा-रसना इंद्रिय के लिए नही खाना जीने के लिए खाना।
संकलन ब्र महावीर