निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा
बुराई से डरते हैं,निन्दा से नहीं निर्भय हो जाओ
1.भय- दुनिया में भय है ही,भय नाम की चीज एक भ्रम हैं,निरपराधी पुलिस को धक्का मार कर निकल जाता है क्योंकि उसके को भय नहीं है,बुराई से बचाना बुराई करने वालों से नहीं बचना,बुराई से डरते हैं निंदा से नहीं, जो जो व्यक्ति मरने से डरते हैं उसका कल्याण नहीं हो सकता।
2.धर्म-मेरा रत्नत्रय व्रत धर्म गुरु अनमोल, अनुपम, पद पाया हैं उससे डरना वो नहीं चला जाए,मरने से नहीं डरना।
3.अनुपम-संसार के कार्यों के लिए धर्म का निर्मुल करता हैं जबकि धर्म को अनमोल करना है जब भी भगवान के दर्शन करो धर्म की कोई भी कार्य करो, गुरु के दर्शन करो, उनको अनुपम मानो, अनुपम में ऐसी अनुपम प्रतिमा जी कभी नहीं देखी
4.मिथ्या का निषेध है, सम्यक का नहीं क्योंकि मिथ्या है ही नहीं, जो गुरु का स्वरूप कहा, उससे विपरीत मानना गुरु मानना मिथ्या हैं।जो देव,धर्म का स्वरुप है उसका स्वरूप मानता हैं।
5.हम सब उस से डर रहे हैं जिस से डर नहीं है कुंद कुंद आचार्य कहते हैं कि निर्भय हो जाओ,निर्भय की बात क्यों करते यदि डर होता तो,जो है उसको कभी जैन धर्म कभी नही नकरता
शिक्षा-भगवान धर्म गुरु को अनमोल करना है अनुपम करना हैं
सकंलन ब्र महावीर