सज्जन और साधु का पिटना बुरा नहीं , पीटना बुरा हैं : मुनिपुंगव श्री सुधासागर

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निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा
सज्जन और साधु का पिटना बुरा नहीं , पीटना बुरा हैं
साधु नरम दल है श्रावक गरम दल है दोनों को साथ में चलना है गरम दल को नरम दल की रक्षा करनी है
1.महावीर भगवान ने गृहस्थ को कहा “जीओ और जीने दो”भगवान ने साधु को कहां मर जा और रास्ते पर चलो तो भगवान से साधु ने कहा मैं मारूंगा नहीं व अपनी रक्षा भी नहीं करूंगा और मैं अस्त्र वस्त्र और शस्त्र सभी का त्याग करता हूं।
2.सज्जन वा महान बनने के लिए नियम बनाया बचने और दूसरे को मारने दोनों का त्याग करना है कोई रास्ते में आपको मारेगा पिटेगा तो बचने का भी प्रयास नहीं करेंगे व दूसरा किसी को नहीं मारेंगे,न हमारी रक्षा करना है न हम बचना है,न शस्त्र रखना है न अस्त्र रखना है।
3.सज्जन व साधु लोग मंजिल तय करके रास्ते पर चलते हैं डाकू,पापी, दुर्जन का कोई रास्ता नहीं होता क्योंकि उनकी मंजिल कोई नहीं होती है साधु लोग जिस रास्ते से गुजरते हैं उस रास्ते पर पहले कोई सज्जन जा चुका है। उसी रास्ते पर क्योंकि उनकी मंजिल होती हैं डाकू रास्ते पर नहीं चलते वह बगैर रास्ते के चलते हैं इसलिए उनकी मंजिल भी नहीं होती।
4.देश को आजादी के लिए नरम दल और गरम दल दोनों साथ मे चलना केवल गरम दल से भी देश आजाद नहीं होगा और नरम दल से भी आजाद नहीं हुआ दोनों को साथ में चलकर देश को आजादी मिली।
5.जिसकी सबसे ज्यादा आलोचना होती है समझ जाना कि वह सबसे अच्छा आदमी है ।।
6.संसार मे सबसे ज्यादा पापी लोग पुण्यात्मा पर नजर रखते है,सारे दुर्जनो की दृष्टि सज्जनों पर ही होती है ।
आज की शिक्षा-एक लाख आदमी मरे तो मरने दो लेकिन राजा और आचार्य व साधु परमेष्ठि को बचा लो।