हर कार्य करते समय हर क्षण आप धर्म की नियम की चिंता करो – मुनिपुंगव सुधासागर जी महाराज

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देशनोदय चवलेश्वर में निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा

हमको दिन भर में कोई हमारी चिंता करता है और किसी की चिंता करते हैं

1.किसके बारे मे सोचे- आप यात्रा में जा रहे हैं हमने अपने घर में एक पर पेंड लगा रखा था उसकी चिंता की पौधे को पानी कौन दे रहा होगा मे जीऊंगा तो पेड़ के लिए,मरूंगा तो पेड़ के लिए तो वह पेड़ आपके लिए चिंता करेगा वह पेड़ आपको ऊर्जा देने लगेगा।

2.चिन्ता- हमें एक व्यक्ति सोचना है जो मेरे लिए सोचो उसका नाम है आपके पास है कोई व्यक्ति वह व्यक्ति मेरी लिए हमेशा सोचता है मेरे लिए सो रहा है सोच रहा है कौन हो मेरा उसके लिए जी रहा हूं उसको आपकी चिंता है स्वयं की चिंता नहीं है।हर व्यक्ति अपने लिए सोच रहा है

3.सुख क्या-स्वयं के संबंध में व्यक्ति सोचता व्यक्ति उतना नहीं सोच पाता जितना वो सोचना चाहता है जो की समस्याएं बनी रहती है जिसे हम सुख कहते हैं वह वेदना का प्रतिकार है जो मुंह में बदबू आ रही है उसको आपने मुंह को शुद्ध करके साफ कर लिया सुख नहीं आया है हमने शुरुआत की तो है वह भी शरीर की शुद्धि से की ये उचित नहीं मांगलिक नहीं हैं अपशुकन है।

4.नियम की चिंता-कोई मेरे लिए जी रहा कोई मेरे लिए मर रहा है सम्यग्दर्शन अपने नियम को ध्यान रखे बैठे खाते पीते क्योंकि वह अपने धर्म की चिंता करता हैं।

सकंलन ब्र महावीर