विज्ञान ने कहा धर्म के चक्कर को छोड़ो मेरे अनुसार चलो, विज्ञान सबको भोगना, सबको शोषण करना बताता है: मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी

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देशनोदय चवलेश्वर मे निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव रिद्धि सिद्धि भक्तामर मंत्रों के निर्देशक श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा
धर्म कहता है हवाओं के अनुकूल चलो,विज्ञान कहता है हवाओं को अपने अनुकूल चलाओ
1.संसार भीड़-सबसे ज्यादा खतरा है उसको जिसका सहयोग करने वाला हजारों लोग हैं क्योंकि जब भीड़ खत्म हो जाएगी तो आप निर्बल हो जाओगे दुनिया का बल से आप चल रहे हो आप का बल नहीं आप निर्बल हो आपने स्वयं का बल तो देखा नहीं और आपके अनुकूल दुनिया चल रही है या आपको भटका देंगे आप कहीं के नहीं रहोगे।
2.विज्ञान व धर्म मे अंतर-विज्ञान ने कहा धर्म के चक्कर को छोड़ो मेरे अनुसार चलो, विज्ञान गर्मी में कमेरे को ठंडा कर देता है विज्ञान सबको भोगना, सबको शोषण करना यही बताता है।
3.संसार का स्वरुप-संसार को अच्छा चाहते हो लेकिन सबसे बड़ी कमी है कि मैं कैसा हूं यह नहीं सोचता हवाओं भी मेरे अनुकूल चले हर व्यक्ति चाहता वातावरण अनुकूल हो लेकिन स्वयं नहीं बदलना चाहता है।
4.दिवालिया कौन-जितनी भी शक्ति हमारे पास आयेगी हम खोखले होते जायेगे दुनियां मे दिवालिया कोन होता है जिसको ऋण मिलता है जिसको ठोकर पर सम्भालने वाला है वो एक दिन संकट मे पडेगा वो भीड़ की ताकत पर चल रहा हैं।
5.अनुकूल-पहला प्रश्न महावीर का तुम्हारे मन का विचार क्या है तुम्हारी बुद्धि कया है तुम कैसे जीना चाहते हो सारी दुनियां मेरे अनुकूल चले।भगवान महावीर कहते है हमारे कालेज मे एडमीशन नही है।महावीर ने अपने भक्तों से कहा हवाओ के अनुकूल चलो ठंड के दिनो मे ठंड बरदाश्त करो बारिश के दिनो मे बारिश सहन करो।
प्रवचन से शिक्षा- किसी को सिखाना है तो वो सिखाना जो नियत है
सकंलन ब्र महावीर