निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा
उपकारी जितना भी होगा, वही हमारे विघटन का कारण बनेगा
1.उपकार स्वयं को टुटना पडेगा- तुम किसी के काम आओगे, तो उठना पड़ेगा,तुम किसी के दुख में दुखी होंगे, दुख उठाना पड़ेगा,भगवान को भी हम बांटते जा रहे हैं ,यह मेरे भगवान यह तेरे भगवान भगवान भी बट गए, क्योंकि भगवान सारी दुनिया ने अपने अपने भगवान को बांट लिया ,क्योंकि भगवान भी हमारे काम आ रहे हैं, जब हम किसी के प्रति करुणा दिखाएंगे, तुम्हें नुकसान होगा, तुम किसी पर उपकार करोगे, बहिर्मुखी होना पड़ेगा, वह स्वयं को खाली होना पड़ेगा।
2. भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था, भारत का वास्तु बिगड़ा भारत को सोने की चिड़िया ने ईरान पर कड़े होते जाते हैं, उतना उसका वास्तु बिगड़ता जाता है
3.सत्य- सत्य कभी खंडित नहीं होता और सत्य को कभी खंडित किए बगैर उपयोग नहीं कर सकते, मात्र साक्षी रूप बनना है, तो सत्य का आनंद वह अलग है, सत्य तक जानने का प्रयास कर रहे हैं, पूर्ण सत्य प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं, सत्य जानते हैं, पुर्ण सत्य नहीं जान पा रहे हैं ,सत्य अपनी जिंदगी में नहीं उतार पा रहे हैं क्योंकि सत्य के हम छोटे छोटे टुकड़े कर देते हैं उसका उपभोग करते हैं, उन शब्दों का उपयोग नहीं कर पा रहे।
4.प्रकृति- प्रकृति सुंदर है, जैसे ही उस को छूते हैं, वह खराब होना चालू हो जाती हैं, सुंदर फुल आंखों को अच्छा लगा फूल की यही भूल है, फिर सुंघते हैं ,बाद में उसको स्वाद लेने की इच्छा करता है, ये फूल मिट गया,फूल की यही गलती आंखों को अच्छा लगा, सुख दिया नहीं तो आपने अपनी जिंदगी जी लेता, संसार में जिसने जिसने तुम्हें सुख दिया उसको तुमने मिटा दिया
शिक्षा- संसार में जिसने जिसने सुख दिया उसको हम मिटाने बांटने का भाव नहीं करना चाहिए
सकंलन ब्र महावीर