देशनोदय चवलेश्वर में निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा
स्वार्थ से ऊपर उठकर अपने ना सोचे दुनिया की सोचे
1.पांच मिनट दुनिया को दो- पांच मिनट दुनिया संसार के सुखी रहे, सब निरोगी रहें, 5 मिनट दो भगवान गुरु के लिए नहीं, संसार के लिए सोचो 5 मिनट सोचो, जिनके मन नहीं उसके लिए मन वाला सोचना है, ऐसे लोग मन से कभी विचलित नहीं होंगे जो बगैर मन वोलो के लिए सोचेंगे।
2.विश्वास-जीव तो सभी दुनिया में जिनके प्रति सभी जीवो को विश्वास नहीं होता,प्रकृति भी सभी जीवो पर विश्वास नहीं कर पाती, देवताओं ने दुखी को सुखी नहीं किया, आज तक देवताओं ने गरीब को सुखी नहीं बनाया,अंधे को आंख नहीं दी,देवता पुण्यवाणो के साथ रहते हैं, देवता भगवान का वैभव बढ़ाते हैं, लेकिन गरीबों का कोई मदद नहीं करता, देवता लोगअमीरों के साथ रहते हैं, हम लोग सोचते हैं, यह भिखारी लोग क्यों रहते हैं, भिखारी लोग को जिन्दगी मे रहना उचित नहीं।
3.स्वार्थ-मनुष्य के मन में स्वार्थ जागता है सबसे ज्यादा पाप करता व्यक्ति मेरी दुनिया स्थापित होना चाहिए प्रजा को मिटा देता है प्रजा का शोषण करता है राजा कभी अकेला नहीं रहता प्रजा है तो राजा की किमत है अंत में उसको पश्चाताप होता है लेकिन जब तक देर हो चुकी होती।
सकंलन ब्र महावीर