जो उम्र में बड़ी- उनको देखकर मां, जो हम उम्र है,उनको देखकर बहन,जो हमसे छोटी उम्र हो उनको देखकर बेटी का भाव आया-यह सही ब्रह्मचर्य व्रत है: मुनिपुंगव श्री सुधासागर

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निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन मे कहा
श्वास लेने में भी हिंसा है सांस लेना भी पाप है, श्वास लेते रहोगे तब तक मोक्ष नहीं मिलेगा
1.वायुकायिक जीव-हम दिनभर श्वांस से वायुकायिक जीवो की विराधना करते है दिन रात विराधना करते रहते हैं स्वांस के माध्यम से,दिन भर में एक बार वायुकायिक जीवो को उपकार मान लो,वायुकायिक जीवों से हमारा जीवन चल रहा है हमें यह सोचना है कि वायुकायिक जीवो का उपकार हम कैसे चुकाएंगे।
2.वह संबंध जो तादात्मय संबंध ही प्रिय है, तुम अकेले एकत्व मे रह नहीं सकते, जो अनादि काल से हमारा था आज भी हैं और हमारा रहेगा अनादि काल तक हमारा रहेगा, यही संबंध काम होता है, जैसे हमारे खुन के संबंध भाई बेटे खुन का संबंध काम आएगा।
3.दो नंबर का सम्बध जिसे हम छुपाते हैं वह काम नहीं आएगा उसे पाप संबंध कहां है।
4.असत्य-असत्य कल्पना मात्र है असत्य एक महत्वहीन हैं दुनिया मे सिर्फ असत्य का ही बोलबाला चल रहा है जो मिथ्या है सब असत्य की तरफ दौड़े चले जा रहे हैं, तो दुनिया कहां तक सुखी रहेगी झुठ के पुलिंदे पर दुनिया कहां तक काम करेगी।
5.ब्रहमचारी-जो बाहर लड़का लड़की साथ में हैं, साथ में बैठे हैं, उनको देखकर क्या भाव आया उनको देखकर वो भाई बहन मां बेटे या पति पत्नी हैं या लैला मजनू क्या भाव आया है कि आपके मन में भाव आया कि मां बेटे है या मां भाई बहन लगते हैं या कोई रिश्तेदार हैं, तो आपको ब्रह्मचारी पना सही है, अखंड है, यह सही ब्रह्मचर्य व्रत है।
6.जो उम्र में बड़ी हैं उनको देखकर मां को भाव आए,जो हम उम्र है,उनको पहली दृष्टि में देखकर बहन का भाव आया,जो हमसे छोटी उम्र हो उनको पहले दृष्टि में देखकर बेटी का भाव आया-यह सही ब्रह्मचर्य व्रत है।
शिक्षा-हम कोई भी पाप कर रहे हैं, वह पाप है, यह स्वीकार करना हैं।
सकंलन ब्र महावीर