10 फरवरी के दिन पूज्य आचार्यभगवन् श्री 108 विद्यासागर जी महाराज से पूज्य क्षुल्लक गम्भीर सागर जी महाराज जिनका गृहस्थ अवस्था का नाम राकेश जैन था उन्होंने अपने जीवन में क्षुल्लक पद को अंगीकार किया था। तब से ही क्षुल्लक गौरव श्री 105 गम्भीर सागर महाराज गुरु आज्ञा से साधना व धर्म की अद्भुत प्रभावना में लगे हैं।
तब से ही गुरु आज्ञा से क्षुल्लक गौरव जगत पूज्य मुनि पुंगव सुधासागर मुनिराज के संघ में सुशोभित हैं और संघ की शोभा बढ़ा रहे हैं।
क्षुल्लक गौरव से युवाओं का जुड़ाव बहुत ज्यादा है क्षुल्लक गौरव को युवाओ का प्रेरणा स्त्रोत भी कहा जाता है आपसे जुड़ कर युवा धर्म मार्ग की ओर अग्रसर होते है।
क्षुल्लक गौरव की चर्या देख आज भी लोग आश्चर्यचकित हो जाते हैं महाराजश्री को सालो से टिकने का त्याग है। ऐसे पूज्य क्षुल्लक गौरव की चर्या को हमारा नमन क्षुल्लक गौरव ने घण्टो भरी बारिश में सामयिक की है, अत्यंत तेज बुखार में भी लंबे विहार किये है। कुछ वक्त पहले मेरे सामने अंतराय में 60-70 किमी का विहार पूज्य श्री ने किया हुआ है आपकी इस साधना को मेरा नमन जिनेन्द्र देव से यही प्रार्थना आप हमेशा स्वस्थ रहे आत्मकल्याण करते हुए धर्म प्रभावना के साथ हम जैसे भटके युवकों को धर्म का ज्ञान कराए।
आपके चरणों में इच्छामि इच्छामि इच्छामि
– संयम जैन गम्भीरभक्त,बीनागंज