फाल्गुन कृष्ण एकादशी, एक दिन, तीर्थंकर दो और कल्याणक तीन है, 16 फरवरी को

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15 फरवरी 2023/ फाल्गुन कृष्ण दशमी/चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
फाल्गुन कृष्ण एकादशी का यह पावन दिन, जो इस बार 16 फरवरी को है। इस दिन, जहां प्रथम तीर्थंकर श्री ऋषभनाथ जी को 1000 वर्ष के कठोर तप के बाद, केवल ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। उसी दिन 11वे तीर्थंकर श्री श्रेयांसनाथ जी का जन्म और तप कल्याणक है।

10वे तीर्थंकर श्री शीतलनाथ जी के 100 सागर में 66,26,000 वर्ष कम के बाद , पुष्पोत्तर विमान में अपनी आयु पूर्ण कर, सिंहपुर नगर के महाराजा विष्णुराज जी की महारानी सुनंदा के गर्भ से इसी दिन , 11वे तीर्थंकर श्री श्रेयांसनाथ जी का जन्म हुआ। आपकी आयु 84 लाख वर्ष तथा कद 80 धनुष ऊंचा और तपे सोने जैसा रंग था । आपने अपने नाम श्रेयांसनाथ को भी चरितार्थ किया, क्योंकि श्रियो का अर्थ होता है मोक्ष मार्ग बताने वाला ईश्वर ।

इसी दिन 21 लाख वर्ष के कुमार काल के बाद और 42 लाख वर्ष राजपाट करने के बाद, एक दिन बसंत लक्ष्मी का नाश देखकर, आपके मन में वैराग्य की प्रवृत्ति जाग गई। वैराग्य की भावना को देखते हुए आपने सिंहपुर नगर के मनोहर वन में पंचमुष्टि केशलोंच कर तेंदू वृक्ष के नीचे, 2 वर्ष कठोर तप की साधना की। आपको देखा देखी 1000 राजा भी, आपके साथ तप के लिए चल दिए। ऐसे पावन दिन, बोलिए 11वे तीर्थंकर श्री श्रेयांसनाथ जी के जन्म और तप कल्याण की जय, जय, जय।