🕉 ह्रीं श्रीश्रेयांसनाथजिनेन्द्राय नमः
(उत्तर पुराण
श्रेय रूप श्रेयांस जिन, परम श्रेय दर्शाय ।
आप बसे शिव लोक में, भक्ति करु सुखदाय।।
हे श्रेयांस जिनेश प्रभु, श्रेय रूप अविकार।
दर्शायो प्रभुवर सहज, रत्नत्रय सुखकार।।
श्रीश्रेयांसनाथ भगवानके मोक्ष कल्याणक पर्व की जय
श्री श्रेयांसनाथ तीर्थंकरका परिचय
तीर्थंकर श्रेयांसनाथ के पूर्व भव:
1. राजा नलिनप्रभ:पुष्करार्ध द्वीप संबंधी पूर्व विदेह क्षेत्र के
सुकच्छ देश में सीता नदी के उत्तर तट पर स्थित क्षेमपुर
नगर में राजा नलिनप्रभ ने सहस्राम्र वन में श्री अनंत जिनेन्द्र
से धर्मोपदेश सुना और विरक्त मन से बहुत से राजाओं के
साथ दीक्षित हुये। उन्होंने ग्यारह अंगों का अध्ययन किया
और तीर्थंकर प्रकृति का बंध कर के समाधिमरण किया।
2.अच्युतेन्द्र: राजा नलिनप्रभ का जीव अच्युत स्वर्ग के
पुष्पोत्तर विमान में अच्युतेन्द्र हुआ।
3.तीर्थंकर श्रेयांसनाथ:
जन्मस्थान:सिंहपुरी, बनारस (उ.प्र.), पिता:इक्ष्वाकुवंशी राजा विष्णु, माता: रानी सुनंदा/वेणुदेवी, चिन्ह: गेंडा, पुष्पोत्तर विमान से अवतीर्ण, गर्भतिथि: ज्येष्ठ कृ.६, गर्भ नक्षत्र:श्रवण,गर्भावास:प्रातः
जन्म तिथि:फाल्गुन कृ.११,जन्म नक्षत्र:श्रवण, वंश:इक्ष्वाकु,वर्ण:सुवर्ण,कुमार काल:२१ लाख वर्ष,
राज्यकाल:४२ लाख वर्ष
वैराग्यकारण:बसन्त ऋतु का परिवर्तन पतझड़ देखना,दीक्षा तिथि:फाल्गुन कृ.११,दीक्षा नक्षत्र: श्रवण, दीक्षावन:मनोहर,दीक्षाकाल:पूर्वान्ह,दीक्षा उपवास:बेला, छद्मस्थकाल:२ वर्ष,सहदीक्षित:१०००
केवलज्ञान तिथि:माघ कृष्ण अमावस्या, केवलोत्पत्ति काल: अपराह्न, केवलस्थान:मनोहर उद्यान, केवल नक्षत्र:श्रवण,समवसरण भूमि:७ योजन,
केवल वृक्ष:तेंदू,केवलीकाल:२०९९९९८ वर्ष,
गणधर संख्या:७७,मुख्य गणधर:धर्म,ऋषि संख्या:८४०००, आर्यिका:१३००००,मुख्य आर्यिका:चारणा,
श्रावक:२०००००,श्राविका:४०००००, योगनिवृत्ति काल:१माह,
निर्वाण तिथि:श्रावण शुक्ल पूर्णिमा,
शरीर की अवगाहना:८० धनुष,आयु:८४लाख वर्ष,
मुक्तिस्थान:संकुल कूट सम्मेद शिखरजी,यक्ष:कुमार,
यक्षिणी:महाकाली, निर्वाण नक्षत्र:घनिष्ठा,
निर्वाण काल:पूर्वाह्न, सहमुक्त:1000 मुनि
सभी धर्मप्रेमियों को हार्दिक शुभकामनाए