शिवपूरी में 05 दिसम्बर से होने वाले पंचकल्याणक-गजरथ महोत्सव की तैयारियां जोरों पर: विधि-नायक भगवान की प्रतिमा और मंगल-कलश आए

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शिवपूरी गांधी पार्क में बनायी जा रही है अयोध्या नगरी। शिवपूरी में 05 दिसम्बर से होने वाले मज्जिनेन्द्र जिनबिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा-गजरथ महोत्सव की तैयारियां चरम पर हैं। महोत्सव के लिए शुक्रवार को भगवान आदिनाथ, मुनिसुव्रत, भगवान भरत एवं विधि-नायक भगवान की प्रतिमा शोभायात्रा के साथ श्री पार्श्वनाथ जिनालय पहुंचीं। इसी के साथ जयपुर राजस्थान से शिखर पर चढाये जाने वाले कलश और मंगल-कलश भी शिवपुरी आ चुके हैं। जिन्हें जीर्णोध्वार पश्चात नवनिर्मित भव्य श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर के शिखर पर सुशोभित किया जाएगा। सकल जैन समाज के लोगों में महोत्सव में शामिल होने के लिए उत्साह

पंचकल्याणक समिति संयोजक राजकुमार जैन जड़ीबूटी वालों ने बताया कि पाण्डुक-शिला का निर्माण भी गांधी पार्क में किया जाएगा। इसी पर विधि-नायक भगवान का सौधर्म इंद्र द्वारा जन्माभिषेक किया जाएगा। गजरथ महोत्सव के निर्देशाचार्य व प्रतिष्ठाचार्य बाल ब्रह्मचारी प्रदीप भैया ‘सुयश’ और सह प्रतिष्ठाचार्य प.सुगनचंद जैन ‘आमोल’ की निगरानी में तैयारियां की जा रही है। आयोजन समिति के अध्यक्ष श्री जीतेन्द्र जैन ‘गोटू’ ने बताया कि सभी समितियों के प्रमुख एवं सदस्य पूर्ण रूप से सक्रिय होकर अपनी-अपनी जिम्मेदारियां सम्हाल रहे हैं।

महोत्सव के लिए पात्रों का चयन 28 को
महोत्सव समिति के मंत्री राकेश आमोल ने बताया कि पंचकल्याणक के मुख्य पात्रों का चयन रविवार 28 नबंवर को दोपहर एक बजे स्थानीय मानस भवन में किया जाएगा।* जिसमें शिवपुरी और आसपास सहित देशभर के लोग इस आयोजन में शामिल होंगे ।

पूज्य मुनि संघ के मंगल प्रवचन प्रतिदिन प्रातः 8:30 से
समारोह में अपना सान्निधय प्रदान कर रहे, संत शिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य पूज्य मुनि श्री अभयसागर जी महाराज, मुनि श्री प्रभातसागर जी महाराज एवं मुनि श्री निरिहसागर जी महाराज के मंगल प्रवचन प्रतिदिन विभिन्न में जिनालयों में प्रातः 8:30 से हो रहे हैं, इसी तारतम्य में इसके पूर्व आज के प्रवचन स्थानीय महावीर जिनालय महल कॉलोनी में हुए। अपने प्रवचनों में पूज्य मुनि श्री ने, जहां दान की महत्ता को बताया, साथ ही कोई भी क्रिया करते समय आवश्यक सावधानी बरतने की हिदायत भी दी। उंन्होने कहा कि व्यक्ति कार्य तो करता है, परन्तु जागृत अवस्था में नहीं करता, अतः उसे समीचीन फल की प्राप्ति नहीं हो पाती है। उन्होंने कहा कि जैसी क्रिया करोगे, फल भी बैसा ही प्राप्त होगा।

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