आज रविवार, शाम 5:30 बजे के आसपास, शिरपुर, अंतरिक्ष पाश्र्वनाथ में लेप के दौरान , क्या बनाने की कोशिश की गई, जिसकी शिकायत भी दर्ज की गई है नजरें रखिए, सावधान रहिए।, इन सवालों के जवाब कौन देगा:

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23 अप्रैल 2023/ बैसाख शुक्ल चतुर्थी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/EXCLUSIVE

इन सवालों के जवाब कौन देगा:

पहला, जब पुलिस की अगुवाई में दोनों संप्रदायों ने कहा कि मूल स्वरूप से छेड़छाड़ नहीं होगी, फिर छेड़छाड़ क्यों?

दूसरा, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सबकुछ जिला प्रशासन की देखरेख में होगा, तो क्यों नहीं मौजूद रहता जिला प्रशासन लेप के दौरान?

तीसरा, क्या लेप करने वाले मोबाइल के सहारे फोटो खींचकर लेप का दिशानिर्देश बाहर जा कर लेते हैं ?

चौथा, अंदर मोबाइल ले जाने की छूट नहीं ,तो कैसे ले जा रहे मोबाइल और खींच रहे फोटो?

पांचवा, जब सौहार्दमय वातावरण चल रहा तो पक्षपात क्यों ?

सोमवार, 24 अप्रैल को बिना संप्रदाय भेदभाव के पूरा जैन समाज पहुंचे, वाशिम जिला कलेक्टर कार्यालय, शामिल हो, भेदभाव छोड़कर, कहिए कि लेप के दौरान अंतरिक्ष पार्श्वनाथ के मूल स्वरूप से कोई छेड़छाड़ नहीं करेगा।

शिरपुर अंतरिक्ष पार्श्वनाथ पर बड़ा अपडेट, क्यों कर रहा जैन समाज अब विशाल मौन महारैली? (भाग-15)


सबसे पहले, हमें अपनी आंखों से दिगंबर – श्वेतांबर रूपी चश्मे को उतारना होगा , और हम जैन हैं और जैन के रूप में ही बात को करना होगा। आपस में मतभेद होता है, पर मनभेद नहीं। गत 20 मार्च को, दोनों भाइयों में आपसी सौहार्द में समझौता हुआ, जिला प्रशासन व पुलिस ने उसमें अगुवाई की ।

इस बीच 20 अप्रैल तक, ऐसा क्या हो गया, जैन समाज को अब एक महारैली का वाशिम के जिला कलेक्टर के कार्यालय तक आयोजन करने की अपील करनी पड़ गई?
क्या अपडेट है अब प्रतिमा के लेप का?

पुलिस के पास रखे गए रजिस्टर में क्या शिकायतें दर्ज हुई?

क्या कभी उसके वास्तविक मूल स्वरूप को बदलने की कोई कारीगर चेष्टा कर रहा है, जिसे जैन समाज में स्वीकार नहीं कर रहा है? जैन भाई क्या चाहते हैं ? समाज के हित में, पूरे जैन समाज अपने मतभेद भुलाकर, हमें प्रतिमा को आकर्षक रूप में लाना है और उसे उसी मूल स्वरूप में रखना है, जैसा दोनों भाइयों के बीच 20 मार्च को हस्ताक्षरित समझौता हुआ।