धरा से निकली प्रतिमा हवा में कैसे उठ गई? आज भी क्या शिरपुर में अंतरिक्ष पार्श्वनाथ, अंतरिक्ष में है? बहुत बड़ा सवाल?

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24 मार्च 2023/ चैत्र शुक्ल तृतीया/चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ शरद जैन/EXCLUSIVE

विशेष ध्यान रखें
शिरपुर अंतरिक्ष पारसनाथ जी के बारे में इस बात पर विशेष ध्यान रखें कि मंदिर दर्शन के लिए बंद नहीं है, आप दिन रात कभी भी आकर दर्शन कर सकते हैं तथा अंतरिक्ष पारसनाथ प्रतिमा पर लेप प्रक्रिया जारी है तथा अन्य 15 वेदियों पर आप पूजा भी कर सकते हैं। सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट यहां आने के लिए मना किया जा रहा है, कृपया उन पर ध्यान ना दें । यह जानकारी शिरपुर से एलक सिद्धांत सागर जी महाराज द्वारा प्राप्त हुई।


जी हां , शिरपुर में अंतरिक्ष पार्श्वनाथ जी के लेप की क्रिया, उसे पूजनीय बनाने की लिए, चैत्र शुक्ल द्वितीय, यानी 23 मार्च को प्रातः 9:30 बजे, जैनों के दोनों संप्रदायों की विधि अनुसार क्रिया के बाद शुरू हो चुकी है। दर्शन के लिए हजारों लोग आ रहे हैं। पर एक सवाल आता है हर के मन में, कि क्या अंतरिक्ष पारसनाथ 42 साल से बंद रहने के बाद भी और फिर दोनों संप्रदाय द्वारा आपसी मालिकाना हक के लिए खींचतान और मारपीट करने के बाद क्या आज भी , वह अंतरिक्ष में रहने को स्वीकार रहे हैं या फिर उन्हें अब नीचे होने का मन बना लिया है?

यह प्रतिमा काफी प्राचीन है, यह दिगंबर संप्रदाय कहता है। उससे भी चार हाथ आगे जाकर श्वेतांबर संप्रदाय तो, इसे रावण के जीजा यानी पदम पुराण के अनुसार वह वेश्रवण द्वारा निर्मित कराई गई बताते हैं। वैसे आचार्य प्रवर जब लेखन करते हैं तो कई अतिशयोक्ति जोड़ दी जाती है, जिससे उस चरित्र की गहराई में डूब जाए। पर यहां तो उसको 20 वे तीर्थंकर के काल में 23वें तीर्थंकर की प्रतिमा बना दी, इससे ज्यादा हैरानी नहीं होगी। जैसे आज कहे कि बेटी के जन्म से पहले ही, पिता के पास उसके ग्रेजुएशन की डिग्री उसके हाथ में है। खैर हम उस कारण में नहीं जा रहे, इस का लिखित प्रमाणित इतिहास मिलता है राजा श्रीपाल से, जिसका पूरा उल्लेख बस्ती मंदिर के पास ही पवली मंदिर में वहां पर स्पष्ट लिखा है।

राजा श्रीपाल एक दिन जंगल विहार को गए। तेज गर्मी पड़ रही थी। कंठ सूख गया था। उन्होंने सैनिक को तुरंत पानी की आवश्यकता बताई। पर सैनिक परेशान था, उसे आसपास कहीं नदी, झरना, तालाब नजर नहीं आया तभी उसे गाय के पैर के निशान थोड़ा आगे बढ़ते दिखे, उन पैरों के निशान की तरफ गया, तो एक गड्ढे में हल्का सा पानी नजर आया । मरता क्या न करता। उसने उसी गड्ढे में से कोशिश की कि थोड़ा तो पानी मिल ही जाएगा, पर यह क्या हुआ। पूरा पात्र भर गया, पर पानी कम नहीं हुआ और वह भी बिल्कुल स्वच्छ। सैनिक इस बात को देखकर, बहुत आश्चर्य में रहा।

पसीना और तेज बहने लगा । उसने राजा को पानी दिया। राजा ने हाथ पैर धो कर पानी ग्रहण किया और फिर शाम तक राजा श्रीपाल जब महल वापस लौट आया। दरवाजे पर रानी ने हैरानी से कहा, अरे आज तो कमाल कर दिया, कौन से वैद्य के पास गए, जो उसने ऐसा उपचार कर दिया कि आपका सारा कुष्ठ रोग खत्म हो गया। राजा श्रीपाल भी अब हैरान था, उसे नहीं मालूम था कि उसका कुष्ठ रोग ठीक हो गया है। पर आज तो किसी के पास भी नहीं गया। कोई उपचार भी नहीं किया मैं। यह सोचकर और हैरान था। परेशान हो गया।

रात्रि में करवटें बदलने लगा। तभी उसको ध्यान आया कि आज तो मैंने जंगल में सिर्फ जल लिया था, जो सैनिक लेकर आया था। बस यही सोचते-सोचते उसकी आंख लग गई। तड़के होने से पहले, उसे स्वप्न में किसी ने कहा कि राजा तुम उसे जंगल में जाओ , जहां से जल लाए थे । वहां एक प्रतिमा है और उसे स्वयं निकालना और फिर मंदिर स्थापित करना, जहां तुम करना चाहती हो। पर ध्यान रहे पीछे मुड़कर नहीं देखना। अगर तुमने पीछे मुड़ कर देख लिया, तो प्रतिमा वहीं रुक जाएगी, तुम कुछ नहीं कर पाओगे ।

राजा ने इस बात का ध्यान रखा था। सुबह उठते ही राजा ने वैसा किया। जल्दी से वहीं गए सैनिकों के साथ और फिर जहां जल था वहां उसने खुदवाना शुरू किया, तो उसे सचमुच भगवान जी की प्रतिमा नजर आई । जिसे हम आज अंतरिक्ष पार्श्वनाथ के नाम से जानते हैं। उसने सब सैनिकों को आगे भेज दिया।

फिर उसने अपना रथ रखा, और आखिर में प्रतिमा के साथ रथ । पर रथ पर रखते ही प्रतिमा में जो हुआ, उसके होश उड़ गए।
धरा से निकली प्रतिमा हवा में कैसे उठ गई ?
कहा जाता है वह इतनी ऊपर हो गई कि एक घुड़सवार भी उसके नीचे से निकल जाए , क्या ऐसा हुआ ?
फिर कहां कैसे पहुंची प्रतिमा?
इतनी ऊपर हवा से वह इतनी नीचे कैसे रह गई?
क्या आज भी वह अंतरिक्ष में है?
कितने वर्षों से कहां से कहां गुजरी वह प्रतिमा? क्या क्या हुआ उस प्रतिमा के साथ?

इन सब सवालों के रोचक जवाब , जो विज्ञान भी नहीं दे पाता। वह किसी अतिशय चमत्कार से कम नहीं है।

देखिए, सुनिए आज शुक्रवार रात्रि 8:00 बजे, चैनल महालक्ष्मी के एपिसोड नंबर 1761, अंतरिक्ष पाश्र्वनाथ आज भी अंतरिक्ष में है या फिर, 42 साल ताले में बंद रहने के बाद, दोनों संप्रदायों के आपसी झगड़े मनमुटाव के बाद , उन्होंने धरा को पकड़ लिया है ।

सारा खुलासा, एक्सक्लूसिव चित्रों के साथ, जो देखकर हैरान हो जाएंगे आप जरूर देखिए आज, शुक्रवार 24 मार्च को रात्रि 8:00 चैनल महालक्ष्मी के विशेष एपिसोड को।