21 अक्टूबर 2022/ कार्तिक कृष्णा एकादिशि /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
जिला वाशिम के शिरपुर में सैकड़ों वर्षो से विराजित अंतरिक्ष पाश्र्वनाथ जी की अतिशय कारी प्रतिमा, दो भाइयों की लड़ाई के बीच, अदालती विवाद के चलते, कई दशक से सरकारी कटघरे में जैसे बंद हो गई। श्वेतांबर भाई इस प्रतिमा पर अपना दावा करने लगे कब से और क्यों?
चैनल महालक्ष्मी ने इस बारे में आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज से आशीर्वाद लेकर गंभीर चर्चा करी आचार्य श्री जी के संकेत पर एलक श्री सिद्धांत सागर जी महाराज से और उन्होंने बताया कि
श्वेतांबर भाइयों का दावा है कि यह प्रतिमा रेत और गोबर की बनी है, जबकि दिगंबर भाइयों का दावा है कि यह कठोर पाषाण की बनी है। श्वेतांबर भाई अपने दावे में केवल किवदंतियां सामने लाते हैं ।
जबकि आठवीं सदी में दिगंबर आचार्य श्री विद्यानंदी जी ने शिवपुर पार्श्वनाथ स्त्रोत रचा , जो आज भी उपलब्ध है। वही श्वेतांबर भाइयों का दावा इसके हजार वर्ष बाद ही शुरू हुआ और तब यहां दूर-दूर तक कोई श्वेतांबर भाई नहीं रहते थे और न ही रहते हैं।आचार्य श्री मदन कीर्ति जी ने भी इस प्रतिमा के अधर में होने का वर्णन किया है ।
एलक श्री सिद्धांत सागर जी महाराज इस बारे में पिछले 100 वर्ष से ज्यादा के घटनाक्रम की चर्चा करते हुए बताते हैं कि 1868 में भट्ठारक श्री देवेंद्र कीर्ति जी की उदासीनता से पोलकरो का यहां पर कब्जा हो गया। 1896 में पोलकरो से कब्जा हटाने के लिए दिगंबर भाइयों ने श्वेतांबर भाइयों को मिलाकर एक हुए और तब अदालत से पोलकरो का कब्जा हटा
1903 में श्वेतांबर भाइयों ने इस दिगंबर प्रतिमा पर चक्षु लगाने का प्रयास किया और उसके बाद 3 -3 घंटे का एक टाइम टेबल बन गया, जो आज भी दिगंबर समाज के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। 1910 में श्वेतांबर भाइयों ने केस किया। एलक श्री सिद्धान्त सागर जी से चैनल महालक्ष्मी की लंबी, गंभीर चर्चा हुई और एक-एक करके कई कारण बताए कि निर्विवाद सत्य क्या है, जिस पर विवादों का कहर टूट गया है।
उन्होंने बताया कि मंदिर पर साल में 5 बार ध्वजा का आरोहण होता है और इसका अधिकार केवल दिगंबर भाइयों को है। 16 में से 15 वेदियों को श्वेतांबर भाई भी मानते हैं दिगंबर। पर एक वेदी पर फिर भी विवाद करते हैं, जहां पर सारी वेदियां दिगंबरों के मत की हो , वहां पर एक पर विवाद कैसे।
1945 में श्वेतांबर भाइयों ने यह स्वीकार किया कि मूर्ति पर कोई लेप नहीं है। जबकि 1948, 1959 में इस दावे के बावजूद श्वेतांबर भाइयों ने लेप उतारा। ऐसी कई बातें सिद्धांत सागर जी महाराज ने चैनल महालक्ष्मी को गंभीर चर्चा में बताइ और वही इसके कई प्रमाण भी दिखाएं। महाराज से साक्षात्कार आज शुक्रवार रात्रि 8:00 बजे के चैनल महालक्ष्मी के विशेष एपिसोड में जरूर देखिए , किस का दावा ठीक?
शिरपुर के अंतरिक्ष पाश्र्वनाथ रेत गोबर की प्रतिमा है या कठोर पत्थर की। पूरा खुलासा आज शुक्रवार 21 अक्टूबर को 8:00 बजे रात्रि को चैनल महालक्ष्मी के विशेष एपिसोड में।