17 अप्रैल 2024 / चैत्र कृष्ण एकादशी/चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ शरद जैन /
० माल गोदाम मे 20 वर्ष से पड़ी मूर्तियों की पूजा हो ० कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के तहत टोंक रास्तोें के कार्य हों ० सीसीटीवी कैमरें लगे ० पहाड़ पर गंदगी, बाइक चलने का दोषी कौन? ० राजनीति साथ नहीं ० 4-5 साल बाद खतरा ० जैन यात्रियों का डेÑस कोड हो ० मांस-मंदिरों के निषेध के बोर्ड लगे ० गेट पर चेकपोस्ट ० निर्देशों का बोर्ड लगे ० लेंडस्लाइडिंग और आग पर रोक हो ० रेलवे काउंटर – अळट- नेटवर्किग पर हो ध्यान ० तलहटी में टॉयलेट
० जिनालय नहीं, शिक्षालय और चिकित्सालय हो ॰ तीर्थक्षेत्र कमेटी अध्यक्ष ने मधुबन वालों की सुनी
सोमवार-मंगलवार, अप्रैल 08-09 को भारतवर्षीय दिगंबर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी की मधुबन क्षेत्र की सभी कमेटियों तथा वहां रहने वाले लोगों के साथ एक विशेष परिचर्चा कमेटी के नवनिर्माचित अध्यक्ष जम्बू प्रसाद जैन जी ने रखी, जिसमें पीठाधीश रवीन्द्र्र कीर्ति स्वामी जी, उप्र-उत्तराखण्ड अंचल के अध्यक्ष जवाहर जैन के साथ सांध्य महालक्ष्मी के प्रधान संपादक श्री शरद जैन को भी अवसर मिला, और यह जानकर हैरानगी हुई, जब वहां 40 वर्ष से एक्टिव रहे शैलेन्द्र जैन ने कहा कि पिछले 40 साल में पहली बार तीर्थ क्षेत्र कमेटी के किसी अध्यक्ष ने आज तक हमसे बात तक नहीं की, परिचर्चा तो दूर की बात है, वह सचमुच हैरानगी भरा था।
उ.प्र. अंचल के अध्यक्ष श्री जवाहर जैन ने परिचर्चा की शुरुआत करते हुए वहां कि शिखर जी जैन समाज की राजधानी हैं, इसका कैसे विकास हो? आज तक हर ने कोशिश जरूर की, पर हम तीर्थ का समुचित विकास नहीं कर पाये, आज मधुबन वालों के बीच इसीलिये हैं।
पीठाधीश रवीन्द्र कीर्ति स्वामी जी ने कहा कि शिखरजी के मुकदमों को वार्तालाप से निबटाने का प्रयास करें। अध्यक्ष दिगंबर जैन समाज के उत्थान और विकास पर पूरा ध्यान दें। शिखर जी आने वाले यात्रियों की व्यवस्था और सुरक्षा पर पूरा ध्यान दिया जाये।
सबके विचार और समस्यायें सुनते हुए अध्यक्ष जम्बू प्रसाद जैन ने कहा कि बहुत दिनों से मन में पीड़ा थी, कि पहले मधुबनवासियों और यहां की कोठी – समितियों की सुनूं, तब कार्य करूं। आप लोगों की शिकायतों – सुझावों – समस्या पर तीर्थक्षेत्र कमेटी की सीमाओं के दायरे में भरसक प्रयास करूंगा। हम सबको पंथवाद भूलना होगा, केवल जैन बनकर रहो। सबको मिलकर कार्य करना होगा, एक माला के मोतियों की तरह रहो, नाम के पीछे ‘जैन’ लिखो। आज हमारी आवाज सुनने वाला कोई नहीं है, हमारी सही गिनती होने पर ही सत्ता में सुनवाई हो पायेगी।
झारखंड जैन बोर्ड के चेयरमैन श्री ताराचंद जैन ने कहा कि अध्यक्ष महोदय हर माह एक दिन के लिये पारसनाथ जरूर आइये। पहाड़ पर गंदगी कौन करता है, बाइक पर कौन जाता है, इसका दोषी कौन? आदिवासी लोग केवल 14 जनवरी को शांति से चढ़ते हैं, उन्हें चढ़ने दो। प्रशासन से मिलकर चलना होगा। मुख्यमंत्री ने दो पेज का पत्र लिखा है कि पारसनाथ जैन तीर्थ है। सरकार ने 11 माह पहले यहां मांस-मदिरा के उपभोग को प्रतिबंधित किया है, पर आज तक इस बात का किसी कमेटी ने बोर्ड नहीं लगाया। मंदिर यहां बहुत हो गये, अब यहां जिनालय नहीं, शिक्षालय-चिकित्सालय चाहिए। अपने नाम के पीछे ‘जैन’ लिखिये।
निहारिका के प्रबंधक संजीव जैन ने स्पष्ट कहा कि आज राजनीति में कोई आपके साथ नहीं है, ऐसी मीटिंग हो रही हैं। 4-5 साल में ही खतरे खड़े होंगें। हम न धन से, न बातों में, न संगठन में, किसी में नहीं जीत सकते। यात्रियों का ड्रेस कोड हो, जिससे पहाड़ पर चढ़ने वाले जैन यात्रियों की अलग पहचान हो सके।
अमित जैन ने कहा कि मद्य पान और हिंसा के बहुत कार्य इस अहिंसक भूमि पर होते हैं। पशुओं की गाड़ियां यहां से गुजरती हैं तलहटी से। जैसा खाओ अन्न, वैसा होता मन। गेट पर चेकपोस्ट बने, वहां निर्देश सूची लगे।
यहां से जुड़े रांची मीडिया के पंकज जैन ने गिरडीह माल गोदाम में 20 वर्षों से बंद तीर्थंकर प्रतिमाओं पर आवाज उठाई, उन्हें निकलवाओ। पर्वत की सुरक्षा, संवर्धन, विकास व पर्यावर्णीय दोषों से मुक्त के लिये एक राष्ट्रीय स्तर का सम्मेलन शिखरजी में हो। श्वेताम्बर -दिगम्बर के केसों में दावें व दलीले बहुत हैं, पर वे आपस में बैठकर समन्वय से खत्म हो। साथ ही कॉमन मिनीमम प्रोग्राम के तहत टोकों व रास्तों की मरम्मत का काम जारी हो। अभी मरम्मत शुरूआत में काफी समय लगता है। मधुबन सुरक्षा के लिए सेन्ट्रलाइज आफिस हो तथा सी सी टी वी कैमरे लगे। पर्यावरण असंतुलन से लेंडस्लाइड होती है, जंगलों में आग लगती है, लगा दी जाती है। उनको रोजी रोटी और हमारी आस्था जुड़ी है।
मधुबन समाज के अध्यक्ष सत्येन्द्र जैन ने कहा कि झगड़े तो चलते रहेंगे, पर कुछ करते तो रहो।
शैलेष जैन ने आवश्यकताओं की एक लम्बी सूची सुना दी, जिसमें शिक्षालय व चिकित्सालय प्रमुख थे। 140 घर की जैन समाज यह चाहती है। यात्री को हार्ट अटैक, तो ईसीजी की भी व्यवस्था नहीं, डोली के रेट पहले जैन, प्रशासन के साथ मिलकर तय होते थे। पर अब उनका मनमाना रवैया है। जैन कमेटियों ने ध्यान नहीं दिया। क्षेत्रपाल से सिद्धायतन के बीच टॉयलेट की व्यवस्था हो। केवल दो-SBI और BOI के ATM हैं। यात्रियों की बड़ी संख्या में वो ब्लॉक हो जाते हैं। रेलवे काउन्टर सुबह 8 से दोपहर दो बजे तक खुलता है,यात्री जब रात्रि में चढ़ता है तो बंद और जब लौटता है तो बंद। काउन्टर रात्रि 8 तक खुलें। मोबाइल नेटवर्किंग खस्ता है, टॉवर लगे। मंदिरों की मूर्तियों पर धूल जम रही है, अब इंसानों की सुविधाओं पर ध्यान दें।
इस पूरी परिचर्चा के आयोजन में सुरेश झांझरी जी का प्रमुख योगदान रहा।