सिंह निष्क्रीडित ब्रत अखण्ड मौन साधना के 300 दिन पूर्ण- शिखरजी में 41 महिनों से बन्द सम्मेदाचल जिनालय खुला

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17 मई 2022/ जयेष्ठ कृष्णा दौज /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
बुद्ध पूर्णिमा पर साधना महोदधि अन्तर्मना आचार्य प्रसन्न सागर महाराज के 300 दिन पूर्ण हुये सिंह निष्क्रीडित ब्रत अखण्ड मौन साधना के और 41 महिनो बाद सम्मेदाचल मन्दिर के खुले द्वार।

निःश्रेयस अनन्त ऊर्जावान, लाखों-करोड़ो आत्माओं की चेतना को परमात्मा बनाने वाली, सर्व मनोरथों को पूर्ण करने वाली सिद्धों की भूमि तीर्थराज सम्मेद शिखर पर्वत पर पारसनाथ भगवान के बाद 557 दिन की सिंह निष्क्रीडित व्रत की अखण्ड मौन साधना करने वाले, साधना महोदधि, उभय मासोपवासी, तप शिरोमणि अन्तर्मना आचार्य 108 श्री प्रसन्न सागर जी महाराज अपने सिंह निष्क्रीडित व्रत के तीन सौ दिन (300) पूर्ण होने पर वैशाख पूर्णिमा के शुभ अवसर पर 41 महिनों से बन्द सम्मेदाचल जिनालय के भव्य द्वार उद्घाटन एवं जिनाभिषेक जिनेन्द्र महाअर्चना महोत्सव सुबह 7-30 बजे से…..मधुबन में विराजमान सभी साधु सन्तों और साध्वीयों के संघ व समाज के सान्निध्य में……समस्त यात्रियों और दर्शनार्थियों को दर्शन, पूजन व अभिषेक करने का सौभाग्य ।

इस शुभ संयोग पर मंदिर कर्मचारियों की ओर से द्वारिका रेजवार जी ने सकल संघ से सविनय निवेदन करते हुए कहा कि हम सभी लोग बहुत भाग्यशाली हैं कि हमारे शाश्वत तीर्थराज सम्मेद शिखर में साधना महोदधि अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज 557 दिन की उत्कृष्ट सिंह निष्क्रीडित व्रत की कठोर तप, अखण्ड मौन साधना कर रहे हैं। हम सभी मधुबन वासी अन्तर्मना आचार्य की दुर्धर तप साधना को देखकर अति प्रभावित हैं। ऐसी कठिन तप साधना मधुबन वासियों ने पहली बार देखी है।

अंतर्मना गुरुदेव के महान तप, साधना के बुध पूर्णिमा को 300 दिन पूर्ण । ज्ञात हो कि अक्षय तृतीया पर अन्तर्मना आचार्य श्री ने अपनी साधना का सबसे बड़ा 16 उपवास के व्रत की महा पारणा पर 40 महिनों से बन्द चौपड़ा कुण्ड के द्वार खुलवाकर जैन समाज को दिया और आज 41 महीनों बाद सम्मेदाचल मंदिर का उपहार दिया।

हम सभी कर्मचारियों ने 41 महीने से बंद सम्मेदाचल मंदिर के द्वार खोलने का निर्णय लिया। मधुबन के सभी साधु और साध्वीयों से निवेदन किया — आप सभी सकल संघ सहित सम्मेदाचल मन्दिर पधारें और भगवान जिनेन्द्र का अभिषेक जिनेन्द्र महाअर्चना करके हम सभी लोगों को सुख, शान्ति, समृद्धि, प्रेम, मैत्री, सदभाव से जीने का आशीर्वाद प्रदान करें। यही अंतर्मना गुरुदेव की 300 दिन की साधना पूर्ण होने पर हम सब मधुबन वासियों की भावांञ्जली-विनयांञ्जली होगी।

द्वारिका प्रसाद जी ने सभा को सम्बोधित करते हुये कहा – अन्तर्मना आचार्य श्री के आशीर्वाद, प्रेम, वात्सल्य, प्रेरणा से ही यह कार्य सम्भव हो पाया अन्यथा यह सब ऐसा ही था जैसे कुत्ते की पूछ को सीधा करना। हम सभी मधुबन वासियों का अन्तर्मना आचार्य श्री के प्रति सेवा-भक्ति समर्पण अक्षय और अनन्त है।

नरेंद्र अजमेरा पियुष कासलीवाल औरंगाबाद