बार-बार जंतर मंतर पर क्यों आए, अभी आए थे, फिर 15 जून को क्यों? #श्रीसम्मेदशिखरजी को #जैन_तीर्थ घोषित करने के लिए प्रदर्शन से काम नहीं चले , तो अनशन की भी तैयारी

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14जून 2022/ जयेष्ठ शुक्ल पूर्णिमा /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/

बस यही सवाल हर के, विशेषकर जैनी बंधुओं के , जरूर दिमाग में आएगा। मार्च में आए, 6 जून को आए , अब 9 दिन बाद फिर , 15 जून को कह रहे हैं कि 11:00 बजे आए, इतनी गर्मी है, यह भी नहीं समझते, अरे करना था तो थोड़ा देर में कर लेते। शिखरजी अभी जितना जा रहा है , उतना ही बाद में जाएगा।

थोड़ा मौसम का ध्यान कर लेते । थोड़ा हमारा ध्यान कर लेते । बस कुछ इस तरह की ही सोच होती है जैन समाज में कुछ बंधुओं की । पर जो अपने धर्म के प्रति , तीर्थों के प्रति, संतो के प्रति , सजग रहते हैं, चिंता में रहते हैं , वही चिंतन करते हैं।

सोचने की बात यह है कि अगर तपती दोपहरी में, होने वाले इस प्रदर्शन के लिए , गुरुग्राम से 45 किलोमीटर दूर से दिगंबर संतो का संघ, नंगे पैर, एक बार जल आहार ग्रहण कर , तपती कोलतार की सड़कों पर , सिंह की तरह गरजता हुआ, पावन तीर्थ श्री सम्मेद शिखरजी को जैन तीर्थ घोषित करने के लिए, अपना सर्वस्व समर्पण कर देता है , तो क्या हम उसके पीछे कारवां भी नहीं बन सकते। क्या हमारे पैर नहीं बढ़ सकते ।

क्या हमें वातानुकूलित कमरों में बैठने की इतनी आदत पड़ गई है कि हम वातानुकूलित कमरे के बाहर निकल कर देख नहीं सकते कि हमारे तीर्थों पर क्या हो रहा है। उसके लिए खड़े भी नहीं हो सकते। अगर कुछ ऐसा मन में आता है , मन में अपने जैनत्व के प्रति कुछ अलख जगती है, पैरों में अभी शक्ति है, बाजुओं में अभी दम है , आंखों से अभी देख सकते हैं, कानों से अभी सुन सकते हैं , तो फिर रुकना मत। बुधवार 15 जून को, एक बार फिर इकट्ठे होकर प्रदर्शन करना है ।

क्योंकि अब हमें अपने श्री सम्मेद शिखरजी को वन्य जीव अभ्यारण नहीं कहलवाना , ना ही उसे इको सेंसेटिव जोन कहलाना है। आने वाले दिन , हमारे शिखर जी के लिए अच्छे रहें और वह तीर्थ पवित्र रहे, तो हमें रोज जागना होगा और प्रदर्शन से काम नहीं चले , तो अनशन की भी तैयारी करनी होगी । पता नहीं किस दिन , हमें अनशन के लिए भी तैयार होना पड़े । अपने तीर्थ , सबसे बड़े तीर्थ , सबसे पावन तीर्थ के लिए, हमें अपना सर्वस्व समर्पण करना होगा।

तो भूल ना जाना , जरूर आना, बुधवार 15 जून को सुबह 11:00 बजे । बहुत से संत आएंगे, देश भर से विद्वत जन आएंगे। फिर एक बार शंखनाद करेंगे , आसमान गुंजायमान करेंगे। यह संदेश भी सब तक पहुंचाना है , सबको लेकर आना है ।जैसे भी आए, कोई वाहन से, कोई बस रेल से, कोई किसी के साथ या कोई पैदल ही , आना जरूर। भूलिएगा मत ।

चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी आप सभी से यही अपील करता है। कोई भी इसका श्रेय ले या कोई भी इस कारवां को चलाएं, पर हम उसके साथ, अंतिम सांस तक जरूर रहेंगे।