21 दिसंबर 2022/ पौष कृष्णा त्रयोदिशि /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी /
दिनांक : ______
सेवा में,
माननीया
भारत की राष्ट्रपति
राष्ट्रपति सचिवालय,
राष्ट्रपति भवन,नई दिल्ली -110004
माननीय प्रधानमंत्री,
भारत सरकार
प्रधानमंत्री कार्यालय, साउथ ब्लाक, रायसीना हिल, नई दिल्ली -110011
माननीय केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री
9, मोती लाल नेहरु मार्ग,
मान सिंह रोड, नई दिल्ली – 110001
माननीय मुख्यमंत्री,
झारखंड राज्य सरकार
मुख्यमंत्री कार्यालय, प्रथम मंजिल, प्रो
जेक्ट बिल्डिंग, रांची (झारखण्ड)-834004
विषय:- ‘श्री सम्मेद शिखरजी को पर्यटन क्षेत्र नहीं, अहिंसक , शाकाहार , पवित्र जैन तीर्थ घोषित किया जाए’ के समर्थन में ज्ञापन:
माननीया /माननीय
सादर जय जिनेन्द्र,
सभी जैन तीर्थों का शिखर श्री सम्मेद शिखरजी, अहिंसक, शाकाहार, पवित्रतम तीर्थ क्षेत्र है, जिसके बारे में केंद्रीय सरकार व झारखंड राज्य सरकार भी पूर्ण तरह सहमत है । परंतु कुछ वर्षों से, विशेषकर शीत ऋतु में यहां की पावनता, पवित्रता को तार तार करते हुए अशोभनीय गतिविधियां देखी जा रही हैं, जिनसे पूरा जैन समाज आहत है , और पिछले कुछ माह से लगातार विभिन्न मंचों से पूरे देश भर में ही नहीं, विदेश से भी आवाज उठा रहा है।
जैसा सभी जानते हैं 20 जैन तीर्थंकरों और अनंत संतो की मोक्ष स्थली होने के कारण श्री सम्मेद शिखर जी का कण-कण प्रत्येक जैन के लिये पूजनीय एवं वंदनीय है।
तत्कालीन बिहार राज्य सरकार ने 21 अगस्त,1984 में इस तीर्थ के आसपास के सभी वन्य जीवन की सुरक्षा के लिए, तीर्थंकर श्री महावीर स्वामी जी के संदेश, जियो और जीने दो और अहिंसा परमोधर्म का पालन करते हुए, 49.33 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को पारसनाथ वन्य जीव अभ्यारण क्षेत्र घोषित कर दिया, जिसके लिए जैन समाज अनुग्रहित है तथा फिर 2 अगस्त 2019 को केंद्र के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा, उस पारसनाथ वन्य जीव अभ्यारण क्षेत्र को सुरक्षा प्रदान करने के लिए, पर्यावरण संरक्षण नियम 1986 के तहत, इस क्षेत्र की सीमा के चारों ओर शून्य से 25 किलोमीटर तक, 208.82 वर्ग किलोमीटर को पारिस्थितिकी संवेदी जोन घोषित कर, इसको सुरक्षा कवच भी प्रदान किया।
परंतु इस अधिसूचना में कुछ बिंदु इस तीर्थ की पावनता व पवित्रता के लिए खतरे की घंटी बन गए, अब जैन समाज अपनी सभी बड़ी कमेटियों, संस्थाओं, समितियों, जिनमें शामिल है अखिल भारतवर्षीय दिगंबर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी (रजि.),अखिल भारतवर्षीय दिगंबर जैन महासभा (रजि.) ,अखिल भारतवर्षीय दिगंबर जैन शास्त्री परिषद (रजि.), दिगंबर जैन महासमिति (रजि.) ,अखिल भारतवर्षीय दिगंबर जैन विद्वत परिषद (रजि.) ,श्री दिगंबर जैन महासमिति (रजि.) , दक्षिण भारत जैन सभा, दिगंबर जैन परिषद (रजि.), कर्नाटक महासभा ,अखिल भारतवर्षीय दिगंबर जैन युवा परिषद् (रजि.), श्री महावीर जी तीर्थ क्षेत्र ,ऋषभदेव विद्वत परिषद् , ग्लोबल महासभा (रजि.), जैन पत्रकार संघ, (रजि.)अखिल भारतीय जैन पत्र संपादक संघ (रजि.),यमुनापार दिगंबर जैन समाज दिल्ली (रजि.) भारतीय जैन मिलन , श्रुत सेवा संस्थान , जैन सभा दिल्ली, स्याद्वाद युवा क्लब (रजि.) , जैन धर्म संरक्षण महासंघ (रजि.), पारस चैनल; चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी, जिनवाणी, आदिनाथ चैनल, समग्र जैन महासभा समाज , प्रकाश भवन सम्मेद शिखर , धार्मिक न्यास बोर्ड ; प्रबुद्ध जैन विचार मंच, जैन एकता मंच, समाचार जगत; गुड़गांव तीर्थ क्षेत्र; इंडियन फेडरेशन ऑफ अहिंसा ओर्गनाईजेशन, कोलकाता
तथा अन्य कई समिति
इन सबके के साथ हम सभी भी निम्न संशोधनों की अनुरोध करते है, जिससे इस अनादि निधन तीर्थ की सुरक्षा, पवित्रता, पावनता कायम रह सके ।
जहां 5 अगस्त,2019 के गजट में, केंद्र सरकार ने पारसनाथ तीर्थ को पवित्रतम स्थल माना है, वही झारखंड सरकार ने 22 अक्टूबर 2018 को अपर सचिव द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट लिखा है कि पारसनाथ सम्मेद शिखरजी पर्वत सदियों से जैन धर्मावलंबियों का विश्व प्रसिद्ध पवित्र एवं पूजनीय तीर्थ स्थल है। इसकी पवित्रता अक्षुण्ण रखने हेतु सरकार प्रतिबद्ध है।
उपरोक्त को रेखांकित करते हुए, कृपया 5 अगस्त 2019 को जारी गजट में, निम्न संशोधन कर वन्यजीवों की सुरक्षा, पर्यावरण मैत्री क्षेत्र के साथ जैन तीर्थ की भी पावनता, पवित्रता को भी सुरक्षित किया जा सके।
हम सभी निम्न 2 संशोधन चाहते हैं , जो निम्न प्रकार है:
पहला , श्री सम्मेद शिखरजी को पर्यटन क्षेत्र नहीं, अहिंसक , शाकाहार , पवित्र जैन तीर्थ घोषित किया जाए तथा
दूसरा, इस पवित्र जैन तीर्थ क्षेत्र तथा इसके एक किलोमीटर की परिधि में किसी भी प्रकार के छोटे, बड़े , कुटीर उद्योग, बिल्कुल निषेध हो ।
यह तीर्थ क्षेत्र मधुबन मोड़ से तलहटी तक, वंदना मार्ग होते हुए, चोपड़ा कुंड से अभिनंदन टोंक पर तक तथा दूसरी तरफ चंदा प्रभु टोंक से पारसनाथ टोंक तक के क्षेत्र तथा इसकी सीमा से विस्तारित एक किलोमीटर और चारों तरफ परिधि के साथ हो।
आशा ही नहीं, संपूर्ण जैन समाज को विश्वास है कि उपरोक्त दो संशोधन कर, तप त्याग में अग्रणी रहने वाले जैन संतो की अगुवाई में , सभी धार्मिक समाज की भावना को ध्यान में रखते हुए, इस क्षेत्र की पवित्रता को बरकरार रखने के लिए, आप त्वरित कार्यवाही करेंगे ।
आपके सहयोग की आशा में बहुत-बहुत धन्यवाद
निवेदक :- __ __________
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