श्री सम्मेद शिखरजी नहीं रहेगा पर्यटन क्षेत्र , नहीं बनेगा तीर्थ क्षेत्र, अब झारखंड सरकार बनाएगी धार्मिक पर्यटन क्षेत्र, पर जैन समाज को नहीं होगा यह स्वीकार,जारी रहेगा विरोध

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22 दिसंबर 2022/ पौष कृष्णा त्रयोदिशि /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी /
झारखंड पर्यटन विभाग के सचिव मनोज कुमार जी ने आज स्पष्ट रूप से कहा है कि श्री सम्मेद शिखरजी को पर्यटन क्षेत्र से निकालने से कोई सुविधाएं नहीं दी जा सकेगी और इसको धार्मिक पर्यटन क्षेत्र बनाने के लिए उनकी सरकार गंभीर रूप से कार्य कर रही है और संभवत शीघ्र इसकी घोषणा हो जाएगी। जैसा चैनल महालक्ष्मी ने आज अपने एपिसोड में स्पष्ट कहा है कि कल तीर्थ क्षेत्र घोषित करने का पेच इसी कारण फंस गया था , क्योंकि तीर्थ क्षेत्र के रूप में इसको किस विभाग से फंड मिले, इसका झारखंड सरकार में कोई मंत्रालय या विभाग नहीं है।

पिछले कई दशकों से पर्यटन विभाग द्वारा ही श्री सम्मेद शिखरजी क्षेत्र के लिए नियमित फंड दिए जाते हैं । कल इसी विरोधाभास के कारण संभवत कोई अधिसूचना जारी नहीं हुई । आज झारखंड पर्यटन विभाग के सचिव ने यह स्पष्ट कर दिया कि श्री सम्मेद शिखरजी को तीर्थ क्षेत्र घोषित करने से पर्यटन विभाग द्वारा दी जा रही, सुविधाएं जारी नहीं रख पाएंगे , इसलिए इसे धार्मिक पर्यटन क्षेत्र घोषित करने के प्रति कार्यवाही चल रही है।

झारखंड के गिरिडीह स्थित जैन तीर्थस्थल सम्मेद शिखर जी को पर्यटन स्थल की सूची से बाहर नहीं किया गया है। झारखंड सरकार ने इस तरह का कोई प्रपोजल भी नहीं बनाया है। हां इतना जरूर है कि देशभर में हो रहे प्रदर्शन के बाद इसे धार्मिक पर्यटन क्षेत्र बनाने पर सरकार विचार कर रही है।
मनोज कुमार ने कहा- नोटिफिकेशन हटा देना समाधान नहीं है। विभाग इसके एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव बना रहा है। इसमें पर्यटन स्थल को जैनों के धार्मिक पर्यटन क्षेत्र के रूप में परिभाषित किया जाएगा। ऐसा करके यहां की व्यवस्थाएं बेहतर की जा सकेंगी।

इस मसले पर सम्मेद शिखर में विराजित मुनिश्री प्रमाण सागरजी ने कहा कि सम्मेद शिखर इको टूरिज्म नहीं इको तीर्थ चाहिए। सरकार पूरी परिक्रमा के क्षेत्र और इसके 5 किलोमीटर के दायरे के क्षेत्र को पवित्र स्थल घोषित करे ताकि इसकी पवित्रता बनी रहे।

पर्यटन सचिव मनोज कुमार ने कहा- उनकी मांग के मुताबिक हम लोग एक्ट में अमेंडेमेंट करने के लिए तैयार हैं। एक्ट में संशोधन कर धार्मिक-जैन तीर्थ स्थल कर रहे हैं। लेकिन जब टूरिज्म एक्ट लागू नहीं रहेगा, सरकार कुछ मदद नहीं कर पाएगी। अगर वे अपने हिसाब से यहां मांस-मदिरा पर प्रतिबंध लगाना चाहेंगे तब स्थानीय स्तर पर इसका विरोध होता रहेगा।
सरकार की अथॉरिटी लागू करेगी तो लोगों को हर हाल में इसे मानना होगा। हर मंदिर और तीर्थस्थल के लिए एक अथॉरिटी होती है। वे मंदिर प्रबंधन समिति के साथ मिलकर काम करते हैं। यहां भी हम अथॉरिटी में जैन धर्म के 6 लोगों को शामिल करेंगे। उनके हिसाब से ही यहां चीजें लागू करेंगे। वैसे भी यह इको सेंसेटिव जोन घोषित है, तो विकास कार्य तो ज्यादा यहां वैसे भी नहीं हो पाएंगे।

सरकार ने पारसनाथ डेवलेपमेंट अथॉरिटी बनाई है। इन्हीं की अनुशंसा पर यहां नियमों का पालन होता है। पर्यटन सचिव का कहना है- अब इसी अथॉरिटी को मजबूत बनाया जाएगा। कोशिश होगी कि जैन धर्म नहीं मानने वाले लोग यहां नहीं जाएं। जाएं तो जैन धर्म के बेसिक प्रिंसिपल का पालन करें। इस अथॉरिटी को पावर दिया जाएगा कि किसी भी तरह का ऑर्डर स्पेसिफाइड इलाके में दे सकेगी। यह अथॉरिटी तभी रहेगी जब वह टूरिस्ट डेस्टिनेशन के रूप में नोटिफाइड होगा।

गिरिडीह के डीसी नमन प्रियेश लकड़ा ने कहा- पारसनाथ डेवलेपमेंट अथॉरिटी ने 250 पन्नों का मास्टर प्लान बनाया गया है। नागरिक सुविधाओं को विकसित किया जाएगा। इसमें 9 किलोमीटर के वंदना पथ को बेहतर बनाना, इनका चौड़ीकरण, बायोट्वायलेट्स का निर्माण, वुडेन बेंच लगाना शामिल है।
2019 में केंद्र सरकार ने सम्मेद शिखर को इको सेंसेटिव जोन घोषित किया था। इसके बाद झारखंड सरकार ने एक संकल्प जारी कर जिला प्रशासन की अनुशंसा पर इसे पर्यटन स्थल घोषित किया।

यहां चैनल महालक्ष्मी पुनः स्पष्ट कर देना चाहता है कि पर्यटन शब्द जुड़ने से, इस हैं तीर्थ पर कई अवांछित गतिविधियां हो सकती हैं , जिन पर नियंत्रण करना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि कानून के दायरे में कब, क्या गतिविधि शुरू कर दी जाए ,उस पर आशंका बनी रहती है । जैसे पर्यटन के लिए, ईको टूरिज्म के लिए कुछ भी सुविधाओं में , पर्यटन के लिए बढ़ावा देने की कोशिशें कभी भी कोई सरकार आगे कर सकती है ।

इसलिए जैन समाज, सभी कमेटियों की ओर से सामूहिक रूप से, यह अपनी मांग पुरजोर से रखती है श्री सम्मेद शिखरजी को पर्यटन क्षेत्र के रूप में नहीं, पवित्र जैन तीर्थ क्षेत्र के रूप में ही मान्य होगा। इसलिए झारखंड सरकार को श्री सम्मेद शिखरजी को केवल पवित्र जैन तीर्थ ही घोषित करना चाहिए।

इस बीच गुरुवार को गिरिडीह डीसी नमन प्रियेश लकड़ा ने पारसनाथ विकास प्राधिकारण की उच्चस्तरीय बैठक की. सरकार के निर्देश के आलोक में हुई इस उच्चस्तरीय बैठक में डुमरी एसडीएम प्रेमलता मुर्मू, पीरटांड़ बीडीओ और अंचलाधिकारी के साथ डुमर एसडीपीओ मनोज कुमार के साथ मधुबन के गुणायतन के महामंत्री सुभाष जैन, बीस पंथी कोठी के सुभाष सिन्हा समेत कई अधिकारी और अलग अलग तीर्थ क्षेत्र कमेटी के सदस्य शामिल हुए. डीसी नमन प्रियेश लकड़ा ने मौजूद अधिकारयों को कड़ा निर्देश जारी करते हुए कहा कि साल बीतने को है और नया साल आने वाला है, ऐसे में इसे ध्यान में रखते हुए पूरे सम्मेद शिखर मधुबन में किसी सूरत में मांस मंदिरा की बिक्री नही हो और न ही सम्मेद शिखर में प्रवेश करने वाले ही कोई इसका इस्तेमाल करे क्योंकिक्यों सम्मेद शिखर मधुबन कई दशक से आस्था का केंद्र है. पारसनाथ विकास प्राधिकारण की हुई इस बैठक में कई और मुद्दों पर चर्चा हुई. (इनपुट सहयोग दैनिक भास्कर )