शिखरजी खोखली कमेटियों की गैर जिम्मेदाराना हरकत और एक और यात्री का असमय स्वर्गवास, प्रशासन की अवैध वसूली और यह सचमुच अत्याचार है

0
903

23 सितम्बर 2022/ अश्विन कृष्ण त्रियोदिशि /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ EXCLUSIVE
एक बार फिर शाश्वत , सबसे बड़े तीर्थ , श्री सम्मेद शिखरजी की वंदना करने गए एक तीर्थयात्री का दिल का दौरा पड़ने से मात्र 3 किलोमीटर चढ़ाई के बाद ही मृत्यु हो जाती है। इस तीर्थ पर यह कोई नई बात नहीं है, यहां पर आकर कहा तो यह जाता है कि अगर आयु कर्म पूरा हो जाए , तो फिर देवलोक का रास्ता स्वतः खुल जाता है। पर कई बार असमय मृत्यु भी , चिंता का बहुत बड़ा कारण बन जाती है, और उसमें अफसोस तब होता है, जब यहां पर उस तरह की सुविधाएं नहीं मिल पाती कि एक अनमोल जीवन को बचाया जा सके ।

चैनल महालक्ष्मी इस पर लगातार आवाज उठाता रहा है। पिछले 3 सालों में कम से कम 10 बार, इस तरह की अव्यवस्थाओं पर बार-बार कहा है । पर लगता है कमेटियों के कान पर जूं नहीं रेंगती।

इस बार की घटना है गुरुवार 22 सितंबर तड़के लगभग 4:30 बजे की। जब सागर के बड़ा बाजार से यानी वहां के कांच के मंदिर के पास रहने वाले श्री कैलाश चंद जैन , अपने पूरे परिवार के साथ , बेटा बहू, बेटी दामाद, पत्नी, आदि अनेक रिश्तेदारों के साथ , यहां पर वंदना के लिए पूरे आनंद के साथ आते हैं। लगभग 2:00 बजे के आसपास चढ़ाई शुरू करते हैं ,और गंधर्व नाले पर पहुंचने से लगभग आधा किलोमीटर पहले ही उन्हें तेज दिल का दौरा पड़ता है ।

उस समय उनके साथ लगभग कोई नहीं चल रहा होता । पत्नी थोड़ा पीछे होती है, बेटा बेटी आदि रिश्तेदार आगे चल रहे होते हैं । उसी समय वहां से गुजर रहे कुछ नवयुवक जी हां कहते हैं कई बार कोई फरिश्ता बन कर आते हैं कि धन्य हो जाते हैं । लगभग 3:00 बजे वंदना के लिए, कुछ युवा भी चढ़ते हैं और जब यहां से गुजर रहे होते हैं। वे सब 10 युवक मुनि सेवा सर्वोपरि ग्रुप, सिलवानी के थे ।

(फोटो नाम- राहुल जैन,निखिल जैन,अभी जैन, आदि जैन, आशीष जैन, वरुण जैन, अनिकेत जैन, पीयूष जैन, अंचित जैन, सुमित जैन , आयुष जैन,सोयेश जैन)

वे देखते हैं कि जमीन पर एक अधेड़ व्यक्ति लेटा पड़ा है और कोई जाने आने वाला देख नहीं रहा है । उनमें से एक किराने का कारोबार करने वाले राहुल जैन जो एमकॉम तक पढ़े हैं उन्होंने उसको देखा । नब्ज टटोली, छाती पर हाथ रखा, पर धड़कन का कुछ पता ना चला। शरीर ठंडा हो रहा था , लग रहा था कि अगर कुछ समय पहले कुछ उपाय किया गया होता, प्राथमिक चिकित्सा करी होती , तो शायद यह जान बच गई होती। पर आयु कर्म का लिखा कौन मिटा सकता है , अब उन्हें व्यस्था करनी थी उन्हें एक बार नीचे ले जाकर , जल्दी से चेकअप कराया जाए और हो सकता है कि जान बच जाए। वह संपर्क करते हैं कि तभी उनकी पत्नी आती है ।

और अफसोस तब होता है , पत्नी के मोबाइल का नेटवर्क नहीं चलता है और जा रहे वंदना करने वाले यात्रियों से फोन मांगती है कि कृपया आप देख ले, आपके फोन में नेटवर्क आ रहा है , मुझे संपर्क करना है जरूरी। अपने और लोगों से, जो यहां पर वंदना कर रहे है राहुल चैनल महालक्ष्मी को बताते हैं कि , बड़ा अफसोस होता है कि कई तो उसे तरफ देखने तक को नहीं बढ़ते, बल्कि आगे चल देते हैं। तब एक वंदना करने वाला यात्री अपना मोबाइल देता है, संपर्क करते हैं और तब जाकर बेटा वहां पहुंचता है। आगे जो बात होती है इसके बाद, वह दृश्य और भयावह होता है । कोई व्यवस्था हमारी किसी कमेटी से होने की तो बात संभव ही नहीं है, डोली वाले आपको वंदना करते हुए , उसी क्षण की तलाश में रहते हैं कि कोई गिरे, कोई थके, कोई अटके और फिर वह अपनी मुंह मांगी रकम से वसूलने के लिए मुख खोले।

बहुत शर्मसार है कि यहां पर ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है कि डोली वालों को समझाया जा सके , जिसका सवाल चैनल महालक्ष्मी आज पूरे समाज और पूरी कमेटियों से पूछता है । राहुल ने डोली वाले से कहा कि इसे नीचे ले जाना है , तबीयत बहुत खराब हो गई है । डोली वालों ने साफ कह दिया 25000 से कम नहीं लगेगा। मात्र साढ़े 3 किलोमीटर नीचे उतरने का। सबके होश उड़ गए। किराने का काम करने वाले, राहुल ने फिर सौदा करना शुरू किया बात 20000 पर अटक गई , वह भी नकद। पहले दोगे , तब इसको लेकर जाएंगे। इतनी रकम, किसी के पास ही नहीं मिल सकती थी। ना वे 10 युवा इकट्ठा कर पाते । राहुल के दिमाग में आया, तो उसने कहा अपने युवा लोगों के चेहरे देखे और फिर पूछा डोली वाले से। तो मुझे खाली डोली दे दो, बोलो क्या लोगे उसने कहा 10000 से कम नहीं लेंगे। गजब की बात , मात्र 3 किलोमीटर और खाली डोली का किराया 10,000, एक बार फिर होश उड़े। फिर सौदा किया ₹5000 में तय हुआ।

(फाइल फोटो)
राहुल ने कहा नीचे उतरते ही दे देंगे । उन्होंने कहा इस हाथ पर पैसे रखो , तब डोली देंगे। गजब की हालत है यहां, पर ना कमेटियां सुनने वाली है, ना डोली वाले। किस तरीके से एक आदमी को बचाने के लिए , उसके जीने और मरने के बीच में यह सिलसिला चलता है । आखिरकार ₹5000 किसी तरह निकालकर राहुल देते हैं और फिर 18 साल के अधिकांश युवा , उसमें केवल राहुल और दो जने 20 से ऊपर थे कोई 11 पढ़ रहा है कोई 12 पड़ रहा है। छोटे-छोटे युवा, उन्होंने कंधे पर उन्हें संभाला। उनकी पत्नी को एक बाइक पर बिठाकर नीचे रवाना किया और पुत्र को कहा कि इस डोली के आगे आगे चलिए। कैलाश जी का वजन उन्होंने कहा कि उस समय लगभग 80 किलो के लगभग रहा था और साडे 3 किलोमीटर, जो उन्होंने डेढ़ घंटे में चढ़ाई की थी, दौड़ते भागते जल्द से जल्द नीचे पहुंचना चाहते थे उनको उतरने में 45 मिनट लगे और बताते हैं तब तक उनके शरीर का वजन 125 किलो तक हो चुका था। नीचे उतरे , सरकारी अस्पताल का ताला लगा था। खुलने का मतलब नहीं था। होश उड़ रहे थे, कैसे बचाई जान ।

सेवायतन के अस्पताल में पहुंचे , वहां लेडी डॉक्टर से कहा जल्दी आओ , वहां पर हैं एक मरीज को चेक कर लो , बचा लो। जवाब मिला, जाते नहीं है, जो भी है उसे यहां ले आओ मरते क्या ना करते जहां पर कैलाश जी का बेटा उस अगुवाई में आगे चल रहा था। उनके साथ सारे राहुल के लोग युवा बच्चे लेकर आए। डॉक्टर ने चेकअप किया। उसने कहा उनकी सांसे तो बहुत पहले छोड़ चुके हैं। यह मृत हो चुके हैं ।कहानी का दर्द यहीं नहीं खत्म होता। कहानी बहुत और भयावह होती है।

उसके बाद उनका डेथ सर्टिफिकेट चाहिए होता है। उससे पहले पुलिस की रिपोर्ट चाहिए। पुलिस वाले देखते हैं जानते हैं लगभग समय का समय 8:00 बज चुके होते हैं जाते हैं देखते हैं आ जाओ राहुल थाने जाते हैं उनके रिश्तेदार को लेकर बेटे को लेकर और वहां जाकर थाने में कहता है

थाने में पुलिस वाले सीधा मुंह खोलते हैं । साइन और मोहर कागज पर तब लगेगी, जब 3000 दोगे । यानी आदमी के मरने के बाद भी आज सरकारी महकमें लाश से भी सौदा करते नहीं कतराते । खुलकर कहा, राहुल सकपका गए, पर कहते हैं ना, मरते क्या ना करते । 3000 जब तक नहीं दिए, कागज पर पुलिस की सील नहीं लगी ।
फिर आगे बढ़े , अब मृत्यु प्रमाण पत्र लेना था। पर यहां भी डेथ सर्टिफिकेट यानी लाश होने का सबूत की भी कीमत ,यानी मोटी रिश्वत देने के बाद ही मिलता है । राहुल ने चैनल महालक्ष्मी को स्पष्ट बताया ₹5000 दिए , तब उन्होंने सर्टिफिकेट देने की बात कही।

कैसी स्थिति आ गई है आज शिखर जी वंदना के लिए । उनके परिवार ने कहा कि हम यहां पर अंतिम क्रिया नहीं करेंगे और सागर लेकर जाएंगे। तब राहुल ने वहां पर एक टैक्सी का इंतजाम किया , जिसमें 5 लोग बैठे। उस टैक्सी वाले ने भी अपनी मनमानी वसूली की और कहा कि ₹46000 लूंगा यानी आज तीर्थ यात्रा करने के नाम पर जो अवैध वसूली हो रही हैं , वह आज निरंकुशता की ओर बढ़ती जा रही हैं। इस 46000 की राशि में से फिर तेरापंथी कोठी ने अपनी ओर से ₹21000 का सहयोग दिया। क्या आज वहां मौजूद कमेटियां केवल दान इकट्ठा करने के लिए और अपनी कुर्सी जमाने के लिए ही रह गई है? राहुल सहित पूरी युवा टीम दोपहर बाद मुनि श्री प्रमाण सागर जी से मिली और पूरी वस्तु स्थिति से अवगत कराया ।

मुनि श्री प्रमाण सागरमहाराज जी ने शंका समाधान में इस बात को उठाया और कहा कि वंदना मार्ग में चढ़ते समय, तीन जगह फर्स्ट एड की व्यवस्थाएं करेंगे और साथ ही एक जल्दी शव वाहन की व्यवस्था करने की भी घोषणा की । आज हमारी कमेटियां कितनी कमजोर दिखती है, काम करना उनका जैसे अब दूर-दूर से संबंध नहीं है। क्या यह नहीं होना चाहिए ऐसी स्थितियों में जब किसी घायल को, बीमार को, नीचे लाना पड़े तो डोली उसको लेकर आए और उसको जो दिया जाना जाएज शुल्क है वह कमेटी की ओर से दिया जाए। इस तरह की व्यवस्था करनी होगी।

चैनल महालक्ष्मी के बार-बार कहने के बावजूद प्राथमिक चिकित्सा सुविधाएं केवल मोक्ष सप्तमी के समय मिल पाती है, बाकी दिनों में 27 किलोमीटर की वंदना अपने भरोसे या भगवान भरोसे ही करता है। यह भी बहुत ज्यादा शर्मसार बात है मृत्यु प्रमाण पत्र या पुलिस से दस्तखत कराने के लिए भी हजारों की वसूली , सचमुच अंधेर गर्दी और भ्रष्टाचार का कथित नमूना है । इस बारे में तीर्थ क्षेत्र कमेटी या वहां मौजूद अन्य कमेटियों को समुचित व्यवस्थाएं करनी चाहिए या उनका कर्तव्य बनता है। इस पर चैनल महालक्ष्मी एक पूरी रिपोर्ट आपको शनिवार रात्रि 8:00 बजे विशेष एपिसोड में दिखाएगा क्योंकि आज वह युवा टीम पुनः ऊपर पर्वत पर गई है।

देखिएगा जरूर । हमारी खोखली कमेटियों की गैर जिम्मेदाराना हरकत और एक और यात्री का असमय स्वर्गवास, प्रशासन की अवैध वसूली और यह सचमुच अत्याचार है।
– शरद जैन –

नोट: इस लेख पर आपकी राय / टिप्पणी आमंत्रित हैं। जरूर भेजें – मेलinfo@dainikmahalaxmi.com व्हाट्सअप नं. 9910690825