शिखरजी वंदना में फिर तीर्थयात्री की मृत्यु – शाश्वत तीर्थ पर मेडिकल सुविधाओं की पोल खुली

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इस बारे में पूरी जानकारी शुक्रवार व शनिवार रात्रि 8 बजे चैनल महालक्ष्मी के एपिसोड में मिलेगी। क्या कारण, क्या विफलतायें, क्या करना चाहिए?

एक बार फिर शिखरजी में वंदना के दौरान एक भक्त की दर्दनाक मृत्यु ने इस शाश्वत तीर्थ पर मेडिकल सुविधाओं की पोल खोल दी है। कोरोना से पहले 2019 भी इस तरह की अनेक दर्दनाक घटनाओं का साक्षी बना था, अब एक बार फिर महाराष्ट्र से आये यात्री की मौत ने फिर आवाज उठा दी है कि सरकार और यहां की जैन संस्थान यात्रियों को सुरक्षित वंदना दिलवाने में असफल रही है।

ऐसी दर्दनाक घटनायें आपको अन्य संप्रदाय के पहाड़ी तीर्थों पर सुनने को नहीं मिलती, जहां हजारों नहीं, लाखों की संख्या में यात्री जाते हैं। स्पष्ट है कि यहां वंदना केवल भगवान भरोसे और अपने बलबूते ही करने को यात्री मजबूर हैं।

22 दिसंबर 2021 को रोज की तरह हजारों यात्री वंदना के लिये बढ़े, पर उनमें से एक का शरीर डोली में मृत अवस्था में लौटा। महाराष्ट्र से 150 यात्रियों का समाज शिखरजी वंदना के लिये आया था और बीसपंथी कोठी में ठहरा था। इस ग्रुप में ही थे महाराष्ट्र के शोलापुर जिले के अक्लूज निवासी 60 वर्षीय अभय वीरचंद दोषी।

वंदना के दौरान अभय जी आदिनाथ टोंक के बाद शीतलनाथ-अनंतनाथ जी की पास-पास टोंक की वंदना कर रहे थे कि तभी अचानक गिर गये और कुछ प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार उन्हें तुरंत डोली से नीचे लाया गया, पर नीचे चिकित्सक ने उन्हें मृत घोषत कर दिया। संभवत: उनकी मृत्यु घटनास्थल पर ही हो गई थी।

अंतिम संस्कार वहीं मधुबन मुक्तिधाम में किया गया।

हर बार की तरह भारतवर्षीय तीर्थक्षेत्र कमेटी ने कड़ाके की ठण्ड देखते हुए तीर्थयात्रियों को एहतियात बरतने की अपील की है, ठण्ड को देखते हुए यात्री गर्म कपड़ों का इस्तेमाल करें और स्वास्थ्य संबंधित परेशानी होने पर चिकित्सीय जांच के बाद पर्वत वंदना पर जाने की अपील की है। बीपी- शूगर मरीज दवा साथ रखें, जांच करवायें।