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पारसनाथ देखते ही देखते पारसनाथ मधुबन की पवित्र भूमि पर एक बार फिर सन्नाटा पसर गया है। चाहे मंदिर हो या धर्मशाला या फिर बाजार सब जगह वीरानी छाई हुई है।दुकान तो खुली है पर खरीददार ही नहीं है। स्थानीय दुकानदारों के चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ साफ कह रही है कि अभी तो पूर्व के कर्ज से उबर भी नहीं पाए थे कि एक बार फिर से लॉकडाउन काल बन कर सामने खड़ी है। मधुबन पारसनाथ में तीर्थयात्रियों का आगमन बन्द हो गया है। बाहर से आने वाले तीर्थयात्री अपने आने का प्रोग्राम रद्द कर चुके हैं।
साेशल मीडिया के माध्यम से मधुबन पारसनाथ में कोविड19 के संक्रमण का मामला पूरे जैन समाज के बीच प्रचार हो गया। कुछ संस्थाओं द्वारा पूछे जाने पर पारसनाथ आने को मना किया जाता है, तो कुछ के द्वारा आने का सलाह दिया जाता गई। तीर्थयात्रियों के सामने असमंजस की स्थिति बनी हुई है। परिवार बच्चों के साथ कोई घर से बाहर निकले तो कैसे ओर सच्ची बात तो यह है कि जो तीर्थयात्री जहां से आने वाले हैं। वहां की भी स्थिति कुछ बेहतर नही है।
हालांकि स्थिति जो बयां कर रही है। उससे अनुमान यहीं लगाया जा रहा है कि कोविड 19 के तीसरे लहर से खुद को बचाने की जरूरत है। सरकार के गाइडलाइन के अनुसार बूढ़े बच्चे पर इसका प्रभाव ज्यादा पड़ सकता है। इसलिए खान पान में परहेज मास्क का उपयोग अनिवार्य व सार्वजनिक स्थल में जाने से बचे भीड़ भाड़ वाले स्थानों पर सुरक्षित जाएं और मास्क को नजरअंदाज न करें।
सुना पड़ा मधुबन का बाजार
तीर्थयात्रियों के न आने से एक बड़ा तबका हुआ बेरोजगार मधुबन पारसनाथ में जैन यात्रियों के आगमन ठप पड़ जाने से आस-पास के एक बड़ा तबका जैसे डोली मजदूर, गोदी मजदूर, पहाड़ पर्वत के ऊपर दुकान करने वाले दुकानदार, यात्रियों के समान ढोने वाले मजदूर, मधुबन के दुकानदार ऐसे वे तमाम मेहनत मजदूरी करने वाले लोग हैं, जो पूर्ण रूप से बेरोजगार हो जाते हैं और उनके सामने बेरोजगारी की समस्या परिवार के भरण पोषण में आड़े आती है।
बड़े-बड़े जैन धर्मशाला के ट्रस्ट भी यात्री के न आने से डेली होने वाले काम बंद कर देते हैं। जिससे डेली मजदूरों के सामने भी भुखमरी की नाैबत आ जाती है। लिहाजा यह लॉक डाउन पिछले दो सालों से पारसनाथ समेत आस पास के लोगों के लिए अभिशाप बना हुअा है। बता दें कि हाल ही में मधुबन में दर्जनों लोग कोरोना संक्रमित हो गए थे तभी से यहां के तीर्थयात्रि वापस लौटने लगे थे।
तीर्थयात्रियों के वापस लौटने से स्थानीय दुकानदारों में एक बार फिर से मायूसी छा गई है और उन्हें पुन: लॉकडाउन वाली स्थिति का नजारा सामने दिखने लगा है। लोगों ने कहा कि सरकार गाइडलाइन का कड़ाई से पालन कराकर दुकानें खुली रहने दें ताकि उनलोगों का रोजगार चलता रहे। इससे उन्हें सहूलियत मिलती रहेगी।
– राजीव पांडेय, भास्कर से साभार