जागो जैनी जागो ! सम्मेद शिखरजी की पावन भूमि की पवित्रता खतरे में , खुले आम बनता मांसाहार, अब तो दिखता बार बार

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जैन समाज की धरोहर सम्मेद शिखरजी की पवित्रता खतरे में ,कुम्भकर्ण की नींद सो रहे समाज के कर्णधार।

आप विश्वास नहीं करेंगे और जो चित्र दिखेंगे, उनको देखकर हैरान हो जाएंगे । आप सोच भी नहीं सकते कि आज किस कद्र हमारी कमेटियां, प्रशासन और सरकार, जैन समाज के सबसे बड़े तीर्थ पर आंख मूंदे बैठी है। सपने में भी नहीं सोच सकते कि शिखरजी की तलहटी में खुल्लम खुल्ला मांसाहार बनता है , पकता है और हमारी बीसीओ कमेटियां इस पर मानो आंख मूंदे रहती हैं ।

आज 3 जनवरी को सांय , वैसे इस पर बैठक हो रही है। पर क्या कोई हल निकलेगा ?

अहिंसा के सबसे बड़े तीर्थ पर इस समय जो हिंसा का तांडव हो रहा है, उसके बारे में चैनल महालक्ष्मी बुधवार 5 जनवरी को आपकी आंखें खोलने के लिए वह दिखाएगा, जिसको आप कभी सोच भी नहीं सकते।

कहां पर बनता है मांसाहार और क्यों चुप रहती है कमेटियां और सरकार ? आज जैनों के इस सबसे बड़े तीर्थ पर अजैनों ने जैसे इसे टूरिस्ट प्लेस बनाकर ऐसी शुरुआत कर दी है। उससे अब भय और आशंका का वातावरण बनने लगा है।

प्रशासन द्वारा यहां मांसाहार बनाना एक दंडनीय अपराध है और फिर भी ऐसा खुलेआम जब होता है,तो वह पावन तीर्थ पर हमारी कमेटियों और प्रशासन पर सवालिया निशान लगा देता है। पूरा खुलासा चैनल महालक्ष्मी बुधवार 5 जनवरी को रात्रि 8:00 बजे,क्या सचमुच इस तीर्थ की पावनता को खत्म कर दिया है या फिर हमारे सामने इसको खत्म किया जा रहा है।

जैन समाज के प्रमुख तीर्थ स्थल भगवान पार्शवनाथ की तपस्थली जहाँ से 20 तीर्थंकर भगवान मोक्ष गए हैं अहिंसा की जयघोष से सम्पूर्ण विश्व को मैत्रीय पूर्ण संदेश देने वाली सम्मेद शिखरजी की पावन भूमि की पवित्रता आज खतरे में हैं।

ऐसा दृश्य जिसे देख रूह कांप उठा आंख से देख कर कुछ पल के लिए खुद के आंख पर भरोसा नही हो रहा था कि अहिंसा की पावन भूमि पर जीवों का छुरा से काटा जाना कैसा न्याय है। ओर फिर खुलेआम न जीव पर दया. न किसी का भय. यह तो पारसनाथ की भूमि की पवित्रता के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

और शिखरजी के नाम पर बड़े बड़े ट्रष्ट बना कर – धर्म के ठीकेदार कुम्भकर्ण की निद्रा में सोए हुए हैं कम से कम जिला प्रशासन की मदद लेकर इन सब तरह के वाक्यो पर रोक तो लगा ही सकते है।