आप धार्मिक, नैतिक, व्यवहारिक और समझदार हैं तो —इन मर्यादाओं का पालन करें , अन्यथा हम जैन के नाम पर सद्दाम हुसैन है : आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी

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22 जुलाई 2022/ श्रावण कृष्ण नवमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
स्वर्णभद्र कूट पर तपस्या में लीन आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी के भाव के अनुसार आपका अनुशासन ही हमारी सफलता है
जीने के लिए खुद की समझदारी ही अहमियत रखती है..
अन्यथा
अर्जुन और दुर्योधन के प्रभु और गुरू एक ही थे..!

यदि आप धार्मिक, नैतिक, व्यवहारिक और समझदार हैं तो —इन मर्यादाओं का पालन करें ।अन्यथा हम जैन के नाम पर सद्दाम हुसैन है

(1) मन्दिर के गर्भ गृह में शुद्ध धोती-दुपट्टा में ही प्रवेश करें अन्यथा बाहर से दर्शन वन्दना करें।

(2) माता बहिने साड़ी में ही प्रवेश करें।अन्यथा गर्भागृह के बाहर से दर्शन वन्दन अर्घ अर्पण करे।

(3) मन्दिर के गर्भ गृह में द्रव्य सामग्री ना चढ़ायें एवं कपूर से आरती न करें।

(4) जिनवाणी जहाँ से उठायें, उसे सम्मान सहित वहीं पर विराजमान करें। रुपए – दान पेटी ये ही डालें,, यहाँ वहाँ ना चढ़ायें।

(5) शेष विशेष- सिद्ध भूमि पर आचार्य भगवन्तो की आज्ञा का उल्लंघन करने से जिन मन्दिर को तोड़ने जैसा पाप लगता है ।

जिस शाश्वत तीर्थराज श्री सम्मेदशिखर जी से तीर्थंकरों और अनंत मुनियों ने निर्वाण की प्राप्ति की, ऐसे पर्वतराज का कण-कण पूजनीय है।

श्री रविन्द्र जैन जी का भजन है —
कंकर कंकर बन गया मोती, पत्थर पत्थर धन्य हुआ ।
अरिहंतो के चरण चूम जड़ पर्वत भी धन्य हुआ ।।

लेकिन क्या आप जानते हैं ? इसी महान पर्वत की वंदना मार्ग में दिन प्रतिदिन बढ़ती दुकानों से दुगने दाम पानी की बोतल, जूस, बिस्कुट, आलू प्याज के पकौड़े आदि अन्य अभक्ष्य खाद्य सामग्री को महंगे दाम में खरीदकर व पहाड़ पर प्लास्टिक की बोतलो और रेपर्स की गंदगी फैलाकर, पर्यावरण को नुकसान पहुचाकर और भीख देकर हम में से कुछ जैन बंधु उन लोगो को बढ़ावा दे रहे है।

अजैनो के बढ़ते लालच व जैनो की अनावश्यक खरीददारी से पर्वतराज को बहुत नुकसान पहुंचाया जा रहा है ।

यहां अजैन लोग अपने निवास व अन्य धार्मिक स्थलों का निर्माण कर रहे हैं, और मांस, सिगरेट व शराब का सेवन कर क्षेत्र को अपवित्र करते हैं, यह उनके लिए पिकनिक स्पॉट से ज्यादा कुछ नही है, क्या हम सम्मेदशिखर जी को गिरनार जैसी स्थिति में ले जाना चाहते हैं ?

निर्णय लें – क्या तीर्थ वंदना कर दर्शन कर पुण्य कमाने जाते है?

आवश्यकता है, सामर्थ्य अनुसार पानी साथ लेकर जाए और पहाड़ पर प्लास्टिक का कचरा न फेंके और न ही इन दुकानों से कुछ भी खरीदे तभी सर्वोच्च तीर्थ सुरक्षित रह सकता है और इसके अलावा कोई दूसरा उपाय नहीं है।