शिखरजी में आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी के चमत्कारों की हैटट्रिक,गुरु पूर्णिमा को जैन समाज को मिली गुरु से इतिहास की सबसे बड़ी खुशखबरी

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13 जुलाई 2022/ आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/

गुरु पूर्णिमा पर जहां शिष्यों से गुरु के प्रति समर्पण किया जाता है , लेकिन आज जैसे उलटी गंगा बह गई । गुरु ने अपने तपस्या के बल पर , समाज के सामने वह उपहार दे दिया, जिसकी हर जैन भाई को बरसों से इंतजार था।

लगभग 100 वर्षों से चल रहे अनादि निधन तीर्थ श्री सम्मेद शिखरजी पर दिगंबर श्वेतांबर भाइयों के अदालती विवादों पर एक विराम लग गया । आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी की अगुवाई में दोनों ही संप्रदाय, इसको अब कोर्ट में घसीटने की बजाए आपसी समझौते पर सहमत हो गए।

मौन व्रत की साधना ने एक बार फिर बैक टू बैक तीसरी बार वह अभूतपूर्व काम आचार्य श्री के सानिध्य में कर दिखाया, जो अब तक ना कोई कमेटी कर पाई , ना कोई संतो की सभाएं और ना ही संप्रदाय आपस में सौहार्दमय वातावरण बना पाए । अभी अदालत की एक तारीख निकली थी और दूसरी आनी थी । इन तारीखों पर दोनों भाइयों के बीच विवाद पर विवाद , सुप्रीम कोर्ट तक वर्षों से पहुंच चुके हैं। इस महान पावन तीर्थ पर कब्जे की लड़ाई के लिए , अपने वर्चस्व के लिए, दोनों भाई करोड़ों रुपए अब तक पानी की तरह बहा चुके हैं, जिसका सदुपयोग अगर इस तीर्थ के संरक्षण और संवर्धन में किया होता, तो यह कितना निखर गया होता ।

आज जब सरकार इसे पर्यटक क्षेत्र बनाने की कोशिशों में लगी है , उस बीच आचार्य श्री के सानिध्य में दोनों संप्रदायों में यह जो ऐतिहासिक समझौता हुआ है, वह अब जैन समाज के लिए एकता का बिगुल बजाते हुए , उस पावन तीर्थ को जैन तीर्थ घोषित करने के लिए मील का पत्थर बन सकेगा।

जो अब तक नहीं हुआ , वह आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी ने एक बार फिर, बैक टू बैक, तीसरी बार कर दिखाया। अनहोनी को होनी कर दिया और आपसी भाइयों को समझौते पर लाकर , विवादों को दूर कर दिया । जी हां , शिखरजी पर चल रहे , लगभग 100 साल के विवाद को , उन्होंने अपने तप, त्याग , तपस्या के बल पर दोनों भाइयों को एक साथ बैठाकर , समझौता करवा दिया कि अब अदालत का दरवाजा नहीं खटखटाएंगे और चल रहे विवादों को अब, हम यही विराम लगाते हैं और वैधानिक कार्यवाही शीघ्र पूरी कर, जैन समाज में एकता का नया बिगुल बजाते हैं ।

साधना महोदधि , उभय मासोपवासी अंतर्मना आचार्य श्री प्रसन्न सागर महाराज ने गुरु पूर्णिमा पर सम्पूर्ण जैन समाज को विशेष उपहार दिया । साधना महोदधी अंतर्मना आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी महाराज जो की सिंहनीस्किड़त व्रत की 557 दिन की अखण्ड मोन व्रत साधना में शिखर की स्वर्ण भद्र टोंक पर साधना रत है । गुरु पूर्णिमा के पवित्र , पावन प्रसंग पर अंतर्मना गुरुदेव के आशीर्वाद व सान्निध्य में जैन समाज के सबसे महानतीर्थ शास्वत तीर्थ शिखर जी के संरक्षण व विकास के लये दिगम्बर और श्वेताम्बर जैन समाज के मध्य हुआ ऐतिहासिक समझौता अंतर्मना आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी महाराज के आशीर्वाद व प्रेरणा से दोनों ही कमिटीयों ने अपने सभी वैधानिक विवादों को वापस लेने पर सहमति प्रदान कर भविष्य में प्रेम मैत्री , सदभाव , समन्वय के साथ तीर्थ के संरक्षण व विकास के लिए कदम से कदम मिलाकर साथ कार्य करने का संकल्प लिया ।