10 फरवरी 2023/ फाल्गुन कृष्ण पंचमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
कल रांची में भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद ने जो प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, वह किसी और धर्म के प्रति, किसी अन्य संप्रदाय के मंदिर के प्रति, कहा गया होता, तो अब तक कितना बवाल, देश में मच गया होता कि वह सभी चैनलों और अखबारों की प्रमुख न्यूज़ बनकर छा गया होता। हैरानगी होती है जैन समाज और इसकी संगठन और समितियां पर। किसी की कान पर जूं नहीं रेंगी अब तक।
जब उस कठिन तप, त्याग, तपस्या करने वाले जैन धर्म के सबसे प्रमुख अनादि निधन, श्री सम्मेद शिखरजी पर, एक भाजपा का पूर्व सांसद तथा प्रेस कांफ्रेंस में यह कह देता है कि जैसे श्री रामजी के मंदिर के लिए अयोध्या में बाबरी मस्जिद को ढहाया था, वैसे ही हम पारसनाथ से सभी जैन मंदिरों को ध्वस्त कर देंगे। इतना सुनने के बाद, जब यह सोशल मीडिया पर छा गया, अखबारों में आ गया , तब भी जैन समाज की चुप्पी, सचमुच आज जैन समाज की नकारात्मकता को प्रदर्शित करती है ।
आज शुक्रवार, दस फरवरी को रात्रि 8:00 बजे, आप सभी को चैनल महालक्ष्मी, वही धमकी, जो पूर्व भाजपा सांसद ने दी है , आपके सामने दो चार करेगा। बार-बार इस तरह से अपशब्द, धमकी भरे अंदाज में बोलना और जैन समाज का मूक हो जाना, किसी कमजोरी, लाचारी , मजबूरी को जरूर प्रदर्शित करता है।
पूर्व सांसद और आदिवासी सेंगल अभियान नामक संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने झारखंड के पारसनाथ-सम्मेद शिखर प्रकरण पर विवादास्पद बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि ‘पारसनाथ आदिवासियों का मरांग बुरू ( देवता की पहाड़ी) है और इसे उन्हें नहीं सौंपा गया तो यहां के जैन मंदिरों को बाबरी मस्जिद की तरह ध्वस्त किया जाएगा। मरांग बुरू हम आदिवासियों के लिए हिंदुओं के राम मंदिर की तरह आस्था का केंद्र है।’ उन्होंने चाईबासा में आदिवासी सेंगल अभियान की एक बैठक में कहा कि पारसनाथ ही नहीं, देश की सभी पहाड़ियों पर आदिवासियों को अधिकार की लड़ाई अब थमेगी नहीं।
सालखन मूर्मू का विवादित बयान
आदिवासी सेंगल अभियान ने पिछले 17 जनवरी से मारंग बुरु बचाओ भारत यात्रा शुरू की है। सालखन मुर्मू ने कहा कि हमने पांच राज्यों के 50 जिला मुख्यालयों पर विरोध रैलियां आयोजित की हैं। अब तक किसी भी सरकारी एजेंसी ने हमारी मांगों को नहीं सुना है इसलिए हम अब रेल और सड़क जाम करने का विवश हैं।
गौरतलब है कि झारखंड की पारसनाथ पहाड़ी को लेकर बीते दो महीने से विवाद गहरा उठा है। यह देश-दुनिया के जैन धर्मावलंबियों का भी सर्वोच्च तीर्थ स्थल है और इसे वे सम्मेद शिखर और शिखरजी के नाम से जानते हैं। इसे जैन तीर्थस्थल बनाए रखने की मांग को लेकर दिसंबर-जनवरी में जैनियों ने देश-विदेश के कई शहरों में प्रदर्शन किया था। इसके बाद बीते 5 जनवरी को केंद्र सरकार ने पारसनाथ को इको सेंसेटिव टूरिज्म सेंटर का दर्जा देने वाले अपने 2019 के नोटिफिकेशन में संशोधन किया है और यहां मांस-मदिरा पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है। झारखंड की राज्य सरकार ने इसे 2021 की अपनी पर्यटन नीति में धार्मिक पर्यटन स्थल घोषित कर रखा है।