बड़ी खुशखबरी – ‘हां-हां शिखरजी अब जैन धर्मस्थल है’ NCM के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा जी ने स्पष्ट कहा

0
687

18 जनवरी 2024 / पौष शुक्ल अष्टमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ शरद जैन / EXCLUSIVE
‘‘It is not a tourist place at all, it is now a religious place related to tirthankars of Jain religion’’
गुरुवार 11 जनवरी को चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी टीम से श्री सम्मेदशिखरजी व गिरनार पर विशेष चर्चा के दौरान, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक अयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा जी ने जैन सदस्य धन्यकुमार जिनप्पा गुण्डेजी की उपस्थिति में स्पष्ट कहा कि श्री सम्मेदशिखर जी जैन तीर्थंकरों की पूजनीय भूमि है, वहां पर किसी तरह के पर्यटन की अब कोई बात नहीं है।

इस पर सीधा प्रश्न उठता है कि लिखित प्रमाण दिया है? (इस लिखित प्रमाण की भी शीघ्र जानकारी देगा सान्ध्य महालक्ष्मी)। आज जैन समाज के लिए यह जरूरी हो गया है, क्योंकि वर्तमान प्रधानमंत्री और तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री ने जैन समाज को 2008 व 2013 में आश्वासन दिया था कि गिरनार पर जैनों के हित का पूरा ध्यान रखा जायेगा। पर अब तक जैन हित की बात तो दूर, वहां हाईकोर्ट में 17 फरवरी 2008 के दिये आदेश की खुलकर अवमानना हो रही है, जिसकी जानकारी, केन्द्र व राज्य की सरकारों के साथ प्रशासन व पुलिस को भी है, पर आज ठोस प्रमाणिक दस्तावेजों व सही वस्तुस्थिति की जानकारी के बावजूद कुछ कथित कागजों को मानो सत्य के ऊपर, झूठ का आवरण चढ़ा कर इस तरह पेश कर दिया जाता है, जैसे जैनों का 72 करोड़ 700 मुनिराजों के साथ 22वें तीर्थकर श्री नेमिनाथ के तप-ज्ञान-मोक्ष कल्याणक धरा तथा श्री कृष्ण जी के पुत्र प्रद्युम्न स्वामी, शम्भु स्वामी और उनके पौत्र अनिरुद्ध स्वामी के भी सिद्धालय जाने की सच्चाई को दबाते हुए इस गिरनार से कोई संबंध नहीं, और 40-50 साल से इस जगह को दत्तात्रेय टोंक – गोरखनाथ टोंक – जय अम्बे आदि के रूप में धीरे-धीरे सत्ता की शह पर बदला गया। वोटों के लिये की गई गिनती में, जैन कहीं गुम कर दिये गये और यह तीर्थस्थल भी। क्या आज सबसे शिक्षित, शांति अहिंसा रूप, सबसे ज्यादा उद्योग व रोजगार देने वाले, दूसरों के लिये सहायता में सदा आगे रहने वाला, (जीडीपी में बड़ा सहयोगी) जैन समाज कुछ के लिये एलर्जी बन गया है?

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग से अल्पसंख्यकों में भी अल्पसंख्यकों की, जैनों के लिये ही इंसाफ नहीं, बल्कि राष्ट्र के प्राचीन धरोहरों व संस्कृति विरासत पर हो रही चोट, बदलाव के लिये चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी टीम ने कई सवाल पूछे, जिनका स्पष्ट व सीधा जवाब देते हुए अध्यक्ष श्री इकबाल सिंह लालपुरा जी ने हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया।
सांध्य महालक्ष्मी ने श्री सम्मेद शिखरजी पर मुख्य रूप से तीन विषयों पर चर्चा की-

1. पर्यटक क्षेत्र क्यों?
2. तीर्थयात्रियों व त्यागीवृंद की सुरक्षा
3. स्वास्थ्य सुविधायें

इन तीनों पर बेबाक चर्चा कर कई खुलासे करते हुए श्री इकबाल जी ने स्पष्ट कहा कि वहां पर तीर्थयात्रियों के प्रति स्वास्थ्य सुविधाओं में कमी के बारे में सांध्य महालक्ष्मी की ओर से आई यह बात, पहली बार मुझे पता चली है। मैं झूठ
नहीं बोलता। इसलिये स्पष्ट स्वीकारता हूं कि इस बारे में आज तक कुछ नहीं किया, पर अब विश्वास दिलाता हूं कि केन्द्र व राज्य, दोनों से तीन-चार दिन में ही बात करूंगा। हम यह प्रयास करेंगे, वहां एक हास्पीटल बन जाये। परमीशन के लिये सरकार के पास कल ही लिखूंगा और सक्षम जैन समाज से भी, इसमें सहयोग करने की अपील करूंगा।

चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी के शिखरजी को पर्यटन, ट्रेकिं ग, मस्ती, रोमांस के रूप में आने वालों की घटनाओं के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस बारे में, मेरी झारखण्ड के तत्कालीन मुख्य सचिव सुखदेव जी से लंबी चर्चा हुई, उन्होंने वहां नंगे पैर वंदना करके स्थिति का अवलोकन कर हमें विश्वास दिलाया कि इसे पर्यटन की ओर नहीं बढ़ायेगें, It’s not a tourist place at all, it is now a religious place related to tirthankars of Jain religion. उनकी इस बात पर सांध्य महालक्ष्मी ने दोबारा रिपीट करते हुए कहा कि अब क्या शिखरजी जैन तीर्थस्थल घोषित हो चुका है, उनका स्पष्ट जवाब था कि जी। उन्होंने यह भी कहा कि जैन समाज को इसके लिए आंदोलन-अनशन भी करना पड़ा। यह बात प्रधानमंत्री मोदी जी के ध्यान में भी आई, तब उनके द्वारा ही हमने बात को आगे बढ़ाया। इस बारे में राज्य और केन्द्र दोनों ओर से अपडेट जारी हो गये थे। अब यह शिखरजी धर्मस्थल ही रहेगा, जो टूरिस्ट प्लेस वाला आर्डर है, वो विदड्रा (वापस) हो गया है। टूरिस्ट प्लेस वाली बात तो भगवान महावीर की अपनी कृपा से, क्योंकि हम कोई काम नहीं कर सकते। भगवान ने काम करा दिया और हमारी इज्जत बब गई। सुरक्षा व स्वास्थ्य के लिये भी पूरे प्रयास होंगे। हम यह पूरा प्रयास करेंगे कि जैन धर्मस्थलों पर जैन परम्पराओं से ही लोग जायें। अगर ऐसा होता है तो हमारे ध्यान में लाइये, हम वहां भी ठीक करने का पूरा प्रयास करेंगे।