शिखरजी में हाथी की वंदना! 5 संदेश दे गया हाथी मेरा साथी॰ अतिक्रमण कर रही दुकानें हटाओ (कई दुकानों में तोड़फोड़)

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॰ धर्म स्थल को पर्यटन केन्द्र मत बनाओ (सोते पांच को सूंड से उठाया)
॰ दर्शन, श्रद्धा के साथ सब करें (हाथी भी कर सकता है)
॰ पारस चरणों पर मस्तक, जीवन का रक्षक (हाथी ने पारस टोंक पर माथा टेका)
॰ वंदना बाइक से नहीं, अपने पैरों से
(दुर्लभ रास्ते से चढ़कर चंदाप्रभु टोंक से पारस तक की वंदना हाथी ने

29 जनवरी 2025/ माघ कृष्ण अमावस /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी / शरद जैन /
क्या ऐसा भी हो सकता है, पर ऐसा ही हुआ श्री सम्मेद शिखरजी में। 24 जनवरी को रात्रि साढ़े दस बजे से 12 बजे तक एक जंगली हाथी ने जो कर दिखाया, उससे सभी हतप्रभ हैं। पिछले काफी समय से हाथियों को इस वन आते हुए नहीं देखा और अब ऊपर पहाड़ी से पहाड़ी आंधी की तरह दौड़ता रहा, ऐसा प्रत्यक्षदर्शी ने भी बताया। चंद्रप्रभु की ललित टोंक के नीचे दुकान पर रखें बक्से को पिचका दिया, दुकान को तहस-नहस किया, वहीं कई सीढ़ियों पर मलीद कर दी। गौतम स्वामी की टोंक के पास तोड़फोड़ से आगे एक गन्ने वाले के दो गांठ गन्ने हजम कर लिये, किसी के चावल, किसी के बिस्कुट खाये और नेमिनाथ टोंक के पास बोर्ड को ऐसे मोड़ दिया जैसे कागज मोड़ा हो। स्पष्ट संकेत था कि अतिक्रमण करती दुकानों को इस तीर्थ से हटा लो।

वन विभाग को बारह बजे के लगभग सूचना मिली और 4 की टीम खोज में निकली पर, उसकी कहीं जानकारी नहीं मिली। तीर्थक्षेत्र कमेटी के अधिकारी ने कई लोगों से बात भी की। पिछले कुछ दशकों में ऐसा पहली बार देखा गया है। चैनल महालक्ष्मी को मधुबन के थाना प्रभारी जगरनाथ पान ने बताया कि जब तक उस हाथी की उपस्थिति वंदना पथ के आस-पास लगती है, तब तक यात्रियों को रात्रि में वंदना करने से बचना चाहिये।

आज तक हाथी नहीं आया, पहली बार दिखा
चार साल पहले 3 किमी दूर कटहलबाड़ी में हाथी दिखा था, वहीं सबसे निकट दिखा, पर इस बार यह घटना हो गई, पर क्या वह एक था या अनेक, इस बारे में पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता। एक दुकानदार के भागते-भागते पैर में चोट लगी, तो एक का हाथ टूट गया। पर यह हाथी उत्पात मचाने आया था या श्रद्धा से अविभूत हो गया। नेमिनाथ टोंक के पास बने केबिन में चतरा से आये पांच युवक सो रहे थे, हाथी ने सबको सूंड से बाहर खींचा, पर और कुछ नहीं कहा। पांचों डर से कांपते रहे, पर वह हाथी पारस टोंक की ओर चला गया। ये पांचों घूमने आये थे, पर अंधेरा होने के बाद वहां ठहर गये थे, सुबह होते ही उन्होंने पारस चरणों के पास नारियल चढ़ाकर माथा टेका और नीचे उतरे, यह बात वहां उपस्थित पुजारी ने बताई। हाथी ने मानो संकेत कर दिया कि यह धार्मिक स्थान है, पर्यटन केन्द्र नहीं।

यही नहीं जिस हाथी ने चंदाप्रभु से नेमिनाथ टोंक से पहले तक जगह-जगह उत्पात मचाया, दुकानों को नुकसान पहुंचाया, पर पारस टोंक के पास इतनी ज्यादा दुकानें, फल तक रखें हुए, पर सूंड उठाकर नमन किया और नीचे उतर पीछे की तरफ चला गया। यह कैसा चमत्कार था – बिल्कुल अविश्वसनीय, उत्पादी कैसे श्रद्धामय शांत हो गया। मानो हाथी कह रहा था कि मैं दुर्गम रास्ते से चढ़कर चंदाप्रभु टोंक से पारस टोंक तक पहुंच गया, तुम क्यों बाइक से आते हो। नमन का फल तब पूरा मिलता है, जब अपने पैरों से चढ़कर आते हैं।

पूरी जानकारी चैनल महालक्ष्मी के एपिसोड नं. 3122 में देख सकते हैं।