शिखरजी केस में केन्द्र राज्य सरकारों को हाईकोर्ट की फटकार ॰ किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना गंभीर मामला

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॰ 19 फरवरी को अगली सुनवाई
पारसनाथ पर क्यों मांस मदिरा और सरकार क्यों बना रही पर्यटक स्थल
01 फरवरी 2025/ माघ शुक्ल तृतीया /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी / शरद जैन /
झारखण्ड हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एम एस रामचंद्र राव और न्यायाधीश दीपक रोशन की डबल बेंच ने झारखण्ड के महाधिवक्ता से मौखिक रूप से कहा कि किसी की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाना गंभीर मामला है। धार्मिक स्थलों को श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षित रखा जाना चाहिए।

हाईकोर्ट ने केन्द्र और राज्य को लगाई फटकार जैन धर्म के प्रमुख आदिनिधन तीर्थ पारसनाथ पहाड़ो को जैन धर्मावलंबियों के अनुसार रखे जाने को लेकर 08 जनवरी 2025 को दायर वाद संख्या 231/2025 जनहित याचिका पर 24 जनवरी को सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने केन्द्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा है।

ज्योत संस्था द्वारा ट्रस्टी ललित नर्शी धर्मशी की ओर से झारखण्ड सरकार, केन्द्र के पर्यावरण वन मंत्रालय, राष्ट्रीय राजमार्ग लाजिस्टिक प्रबंधन लि., गिरिडीह के उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक को पार्टी बनाया है।
ज्योत संस्था की ओर से बताया गया कि पारसनाथ पहाड़ जैन धर्मावलंबियों का धार्मिक स्थल है, लेकिन पिछले कई वर्षों से शराब-मांस की बिक्री हो रही है। अब तो स्थिति ऐसी हो गई है कि बाहर के लोग यहां पिकनिक मनाने आ रहे हैं। राज्य सरकार इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर रहे हैं। इससे जैनों की धार्मिक भावनायें आहत हो रही हैं। इसके लिये 05 फरवरी 2023 को केन्द्र के पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना का भी संदर्भ दिया गया, जिसमें स्पष्ट निर्देश हैं कि पारसनाथ पहाड़ी प र जो भी कार्य किये जायें, वे जैन धर्म की भावनाओं को ध्यान में रखकर किये जायें, पर ऐसा नहीं हो रहा। यह जनहित याचिका जैन धार्मिक स्थल को बचाने के लिये लगाई गई है। अगली सुनवाई 19 फरवरी को निर्धारित की गई है।