27 जुलाई 2022/ श्रावण कृष्ण चतुर्दशी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
बीसवीं सदी तक दिगंबर जैन साधु संतों का सार्वजनिक स्थानों पर विहार करना, विशेषकर उत्तर भारत में , लगभग बंद हो गया था। दीवारों के पीछे अपनी दिगंबरत्व रूप में रह पाते थे। यहां तक कि आहार के लिए बाहर निकले , तो चारों तरफ वस्त्र का घेराव ।
इस तरीके से कठिन दौर चल रहा था दिगंबर जैन संप्रदाय का। ऐसे में तीन महामुनिराज ने वह अखंड ज्योति प्रकाशित की, जो आज भी तीन धाराएं चल रही है। आचार्य श्री शांतिसागर जी दक्षिण , आचार्य श्री आदि सागर जी और साथ ही उत्तर भारत में आचार्य श्री शांतिसागर जी छानी परंपरा ।
आज आपको इन तीसरे आचार्य श्री शांतिसागर जी छानी परंपरा के विभिन्न संत, वर्तमान में कहां-कहां चतुर्मास कर रहे हैं आज आपको उसकी जानकारी देते हैं। संभवत ऐसा संकलन आपने पहले नहीं देखा होगा, अपनी तीन धाराएं आज बहुत ज्यादा बढ़ गई हैं कि हम जान भी नहीं पाते। पर आज एक परंपरा को तो जानते हैं । देखिए जरा जब उत्तर भारत से दिगंबर जैन संतों का विहार सार्वजनिक रूप से लगभग बंद हो गया था , तब तीन धाराओं ने कैसे प्रकाशित किया और आज उसमें से एक धारा के संत कहां कर रहे वर्षायोग