11 जून 2022/ आषाढ़ कृष्ण अष्टमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
क्या आपने कभी सुना हे अंधेरे में डूबा एक ऐसे जीर्ण शीर्ण प्राचीन जैन तीर्थ के बारे में जहाँ न कभी ध्वजा चड्ती हे (ध्वजा ही नही हे) और ना ही बिजली का कनेक्शन हे।सिरोही स्थित धांता गांव का कांडला नेशनल हाईवे से लगता सीदरथ गांव से 3 किलोमीटर दूर के शांतिनाथ मंदिर की है
अब इंतज़ार हे प्राचीन जीर्ण शीर्ण धांता तीर्थ के मूलनायक शांतिनाथ भगवान को किसी ऐसे ट्रस्ट या संघ का जो उनके इस प्राचीन तीर्थ का सम्पूर्ण जिनोद्वार कर वहाँ की जाहोजलाली वापस ला सके। इसके जैसा पुण्य और कुछ नही हे।
धांता तीर्थ का हाल जानने के लिए मेने चेन्नई निवासी जय विक्रमभाई हरण जो की कल सिरोही में ही थे , मैंने उनसे निवेदन किया कि आप खुद सिरोही से धांता जाके वहाँ की सम्पूर्ण जानकारी भेजे। वो तुरंत कल वहाँ गये और समूर्ण जानकारी भेजी। उनके इस त्वरित पुनीत कार्य की ख़ूब ख़ूब अनुमोदना।
इस प्राचीन जीर्ण शीर्ण तीर्थ की हालत बयान करते हुए उनकी आँखो से आंसू आँ गए । मूलनायक शांतिनाथ भगवान की प्रतिमा 800 साल से भी ज़्यादा पुरानी हे। मगर कुछ पुराने लोगों का कहना हे यें प्रतिमा 2000 साल से भी पुरानी हे और एक वक्त धांता गाँव महाजनो से फला फूला एक मुख्य व्यापारिक केंद्र भी था। भगवान महावीरस्वामी की ये शाक्षात विचरण भूमि भी हे।कई साधु संतो का यहाँ आना जाना था। आज उस गाँव में जैन का एक भी घर नही हे पर ये सिरोही से सिर्फ़ 8 km की दूरी पर ही हे और आजु बाजू के 3-4 km radius के गाँवों में कई जैनो के घर हे। पर ट्रस्टियों की अनदेखी से आज इस तीर्थ की ये हालात हुई हे और इस में कोई अतिशयोक्ति नही की 1100 वर्ष प्राचीन धवली तीर्थ की तरह इस तीर्थ से भी मूलनायक की प्रतिमा आने वाले समय में चोरी हो जाए। आज भले ही देव द्रव्य में करोड़ों अरबों रूपिये पड़े हो पर ऐसे जीर्ण शीर्ण तीर्थों का जिनोद्वार करने वाला कोई संघ या ट्रस्ट नही हे क्यूँकि यहाँ नाम और प्रसिधि नही मिलेगी। इस तीर्थ की व्यवस्था आदिनाथ सिदरत जैन ट्रस्ट के पास हे। धवली तीर्थ भी इसी ट्रस्ट के अंतर्गत था जहाँ आज पिछले तीन साल से ताला लगा हुआ हे।
सिरोही ज़िले में और ऐसे पाँच अतिप्राचीन महातीर्थ जीर्ण शीर्ण की हालात में हे। एक तीर्थ में तो सम्भवनाथ भगवान की 51”. की ऐसी चमत्कारिक प्रतिमा हे की बस देखते ही रह जाए। उन सब तीर्थों से भी जल्दी ही रूबरू कराया जाएगा। फ़िलहाल हमारा एक़ मात्र उधेश्य ये हे की सिरोही ज़िले में आबू पर्वत के आस पास भगवान महावीरस्वामी की विचरण भूमि के अंतर्गत आए सभी जीर्ण शीर्ण तीर्थों का पूर्ण जिनोद्वार हो।आइए आप और हम मिलकर शासन की जाहोजलाली लौटाए।
– विमल शाह चेन्नई – दाँतराई