पौष शुक्ल दशमी (23 जनवरी) से जिस दिन 12वें कामदेव ने 16वें तीर्थंकर बनने के लिए, 50 हजार वर्ष राज करने के पांचवें चक्रवर्ती श्री शांतिनाथ जी ने दर्पण में अपने दो प्रतिबिम्ब देखकर वैराग्य हो गया। 16 वर्ष तक तप करके हस्तिनापुर के आमों के वन में, नंदी पेड़ के नीचे अपराह्नकाल में केवलज्ञान की प्राप्ति हुए, आपका केवलीकाल 84,984 वर्ष रहा।
हर साधु का आशीर्वाद लें और चातुर्मासों में ‘तीर्थ सुरक्षा कलश’...
21 दिसंबर 2024/ पौष कृष्ण षष्ठी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ शरद जैन /
भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी की महाराष्ट्र अंचल की बैठक...