उच्च शिक्षित,प्रखर वक्ता,ओजस्वी वाणी तथा सरल सौम्य व्यवहार – मुनिश्री क्षमासागरजी समाधि दिवस : 13 मार्च

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घोर तपस्वी संत,दार्शनिक और दिगंबर जैन परंपरा के साधक मुनिश्री 108 क्षमासागरजी ने सागर,मध्यप्रदेश में समाधि ग्रहण कर ली..
मुनिश्री क्षमासागर का जन्म 20 सितंबर,1957 को सागर के बड़ा बाजार क्षेत्र में हुआ था। संयोग यह भी है समाधिमरण भी उन्होंने बड़ा बाजार क्षेत्र में 13 मार्च 2019 को लिया। उन्होंने सागर विश्वविद्यालय से ही उच्च शिक्षा प्राप्त की थी। मुनिश्री ने 23 साल की उम्र में मोक्ष मार्ग पर चलने के लिए आचार्य विद्यासागर महाराजजी से दीक्षा प्राप्त की थी।
आचार्य विद्यासागर महाराज के संघ में उच्च शिक्षित,प्रखर वक्ता,ओजस्वी वाणी तथा सरल सौम्य व्यवहार के कारण देशभर में उनके लाखों भक्त बने। उन्होंने पगडंडी सूरज तक,मुनि क्षमासागर की कविताएं जैसे काव्य संग्रह लिखे-

गंतव्य यात्रा पर निकला हूं,बार-बार लोग पूछते हैं,कितना चलोगे..?कहां तक जाना है..? मैं मुस्कराकर आगे बढ़ जाता हूं, किससे कहूं कि कहीं तो नहीं जाना। मुझे इस बार अपने तक आना है।