स्वर्णमयी हो गईं थीं वेदियां,, जहां आज भी अर्धरात्रि में अपने आप बजने लगती हैं घंटियां और ढोलक

0
2160

आज भी श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर शहडोल (मध्यप्रदेश)
विराट नगरी शहडोल मध्य प्रदेश छेत्र पर पार्श्वनाथ दिगम्बर
जैन मंदिर में स्थित चतुर्थ कालीन आतिशयकरी प्रतिमा विराजमान है .

शहडोल- ऐसा मंदिर जहां अर्धरात्रि में अपने आप में घंटियां बजने लगती हैं, ढोलक बजने लगते हैं, अद्भुत और अलौकिक है ये मंदिर, और इस मंदिर की कई चमत्कारिक कहानियां भी हैं। ये मंदिर है शहडोल का पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर।

1952 में शहडोल में स्थापित पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर अतिशयकारी है। जहां आज भी अर्धरात्रि में घण्टी व ढोलक बजते हैं। इस मंदिर से जैन समाज की विशेष आस्था जुड़ी हुई है। ऐसा मानना है कि अर्धरात्रि में देवों द्वारा पूजा अर्चना की जाती है। यही वजह है कि रात में इस मंदिर के अंदर कोई भी नहीं रुक पाता है।

वर्ष 1982 में आचार्य विद्यासागर महराज सम्मेद शिखर में शामिल होने के लिए निकले थे। उस दौरान उनका नगर आगमन हुआ था। उस वक्त वह पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर पहुंचे जहां पहुंचने के साथ ही उनके मुख से निकला कि यहां आकर मेरी पूरी थकान मिट गई। प्रभु आप यहां विराजमान हैं, आपको तो स्वर्ण मंदिर में होना चाहिए।

उनके मुखारबिंद से इन शब्दों के निकलने के साथ ही मंदिर परिसर में स्थापित छह बेदियां स्वर्णमयी हो गईं थीं जो आज भी उसी स्थिति में हैं। जैन समाज के लोगों का यह भी कहना है कि यहां एक दीपक जलाने के साथ ही लगभग 100 दीप एक साथ जल उठते हैं। जिसका प्रमाण समाज के कई लोगों ने अपनी आंखो से देखा है। जैन समाज के लोग इसे अद्भुत और अलौकिक मानते हैं।