पावन तीर्थ श्री सम्मेद शिखरजी की पावनता कैसे बरक़रार रखी जाये , कुछ सुझाव अगर सार्थक लगे तो अपनाएं जाएँ #बचाओ_पवित्र_तीर्थ_शिखरजी

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अगर आप के पास भी कोई सुझाव हो तो कृपया 9910690823 या 9910690825 पर व्हाट्सप्प करे, सभी सुझाव तीर्थ क्षेत्र कमेटी के विचारार्थ पहुंचा दिए जायेंगे
उक्त सम्बन्ध में सुझाव सभी यात्रियों के लिये है चाहे वो जैन (दिगम्बर व श्वेताम्बर) हो या अजैन हो :-

1. सर्वप्रथम शिखर जी की यात्रा प्रारंभ होने वाले तलहटी के मेन गेट पर (जहाँ हरे रंग का बोर्ड लगा है) सभी यात्रीयो के लिये जूते, चप्पल, चमड़े की बेल्ट, चमड़े का पर्स, मादक पदार्थ इत्यादि ऐसे समान पूर्ण रूप से पर्वत पर लेकर जाना वर्जित हो, जैसे अन्य जैन तीर्थो पर है उद्धाहरण स्वरूप : सोनागिर व पालीताना ।.

2. यात्रा करने के लिये केवल पेर की सुरक्षा के लिये मोजे (सॉक्स), पेर के तलवे की सुरक्षा पट्टी में ही यात्री पर्वत की यात्रा कर सकता है, अन्यथा जूते / चप्पल आदि में यात्रा करने की अनुमति नही मिलनी चाहिये ।.

3. पर्वत की यात्रा करने के लिये प्रत्येक यात्री की जानकारी के लिये यात्रा प्रारंभ होने वाले तलहटी के मेन गेट पर (जहाँ हरे रंग का बोर्ड लगा है) सभी यात्रीयो के लिये एक रजिस्ट्रशन रजिस्टर रखा जाये, जिसमे हमारे कर्मचारी / सुरक्षा गार्ड द्वारा प्रत्येक यात्री की जानकारी दर्ज की जाये, जिससे पर्वत पर असामाजिक लोगो का प्रवेश रोका जा सके ।.( श्वेताम्बर भाई भोमिया जी में दर्शन कर कर ही वंदना शुरू करते हैं और वहां से एक कूपन प्राप्त करते है, दिगम्बर समाज में ऐसी कोई व्यवस्था ही नहीं है)

4. अगर कोई वाहन ऊपर पहाड़ पर जाता है तो वह अपने बने, वाहन मार्ग से ही जाये, पैदल मार्ग पर वाहन चलाना पूर्ण रूप से प्रतिबिन्धित हो ।.

5. जो भी वाहन ऊपर पर्वत पर यात्री को लेकर जा रहा है, उसका भी रजिस्ट्रशन हो, जिससे सीमित वाहन ही पर्वत पर जा सके, बिना रजिस्ट्रशन वाले वाहन का पर्वत पर जाना पूर्ण रूप से प्रतिबिन्धित हो ।.

6. भगवान पारसनाथ की सम्पूर्ण टोक पर जहाँ से प्रथम सीढ़ी प्रारम्भ होती है, वहाँ फोटो ग्राफी पूर्ण रूप से प्रतिबिन्धित हो, जिससे पर्वत पर असामाजिक लोगो का प्रवेश रोका जा सके ।.

7. पूरे पहाड़ पर प्रत्येक टोक पर जहाँ भी हमारी कैमेटी का कर्मचारी मौजूद हैं, उसका किसी भी यात्री को टीका लगाना, कुछ प्रसाद टोक पर चढ़ाकर शेष प्रसाद यात्री को वापिस करना व यात्री के हाथ मे कलावा बाँधना, ये सब कार्य पूर्ण रूप से प्रतिबिन्धित हो ।.

8. भगवान पारसनाथ की ऊपर मंदिर वाली टोक के चरण लोक वाले शीशे के कवर हो, जिससे कोई यात्री उनको छुये ना ।.

अगर अब भी हम समय रहते नही जागे तो शिखर जी का हाल भी गिरनार जी जैसा होगा, हमे अपना सर्वोच्च तीर्थ श्री सम्मेदशिखर जी को बचाना है