शिखरजी पर्यटन’ तलवार पर लगा हुआ शहद के समान, जनबल से झुकती है सरकार, लालकिले पर आओ 50 हजार

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21 नवंबर 2022/ मंगसिर कृष्ण दवादिशि /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
॰ मुनि श्री विहर्ष सागरजी का विवेक विहार, विश्वास नगर, सूरजमल विहार, जागृति एन्क्लेव में आह्वान
॰ मुनि विहर्ष गर्जना : अब सारी दीक्षा जयंती, शिखरजी पर न्यौछावर
॰ सरकार की सुविधायें, तलवार पर लगा शहद है
॰ पर्यटन के नाम पर खुलेंगे ऊपर होटल, मिलेगा अभक्ष्य, मांस, शराब, विदेशी पर्यटकों को रिझाने की कोशिश
॰ पर्यटन और सुविधायें, जैसे फैंका शकुनि का पासा

मुनि श्री विहर्ष सागरजी ससंघ ने अब एक ही लक्ष्य ‘शिखरजी को बचाना’ सामने रखते हुए पिछले पांच दिनों में विश्वास नगर, सूरजमल विहार, जागृति एन्क्लेव और विवेक विहार में धर्म सभाओं को संबोधित करते हुये 18 दिसम्बर को लालकिला मैदान पहुंचने की अपील की।

मुनि श्री विहर्ष सागरजी ने कहा कि ‘भौतिकता की चकाचौंध, लक्जरी लाइफ का असर, आज हम पर हावी हो चुका है। जैसे अंग्रेजी दवाई असर तो जल्द करती है, पर उसका साइड इफेक्ट नहीं देख पाते, एक रोग ठीक होता है, चार रोग शुरू हो जातै हैं, ठीक उसी तरह आज की भौतिकता है।’

उन्होंने कहा कि आज शिखरजी ही नहीं, 20-30 क्षेत्र खतरे में हैं। हम शिखरजी में डोली का सहयोग लने लगे हैं, उसके बाद बाइक आ गई। सरकार ने जैसे भांप लिया, जैन लोगों को सुविधायें चाहिए। चौड़ी सड़क बना दी गई, एरिया डेवल की घोषणायें, ढाबा, होटल, उनमें अभक्ष्य, नॉन वेज, शराब, शबाब भी मिलेगा। विदेशी वो नहीं लेते, जो हम लेते हैं। फिर खिलाने-बनाने वालों के परिवार-उनके साथ मुर्गी पालन, मछली पालन आदि शुरू होगा।

मुनिश्री ने कहा – कहां गये वो दिन, जब घर से खाना बनाकर ले जाते थे, साथ में बिस्तर, बर्तन भी। अब आप लोगों ने रहन-सहन ही नहीं बिगाड़ा, बल्कि तीर्थों को अय्याशी के अड्डे बनाने को मजबूर कर दिया है। अब प्रकृति का आनंद नहीं चाहते, फाइव स्टार के बंद कमरे चाहते हो, और अंत में सिर्फ गंदगी मिलती है।

आज यह पर्यटन और प्रलोभन शकुनि की तरह सरकारी पासा है, जिसमें सुविधाओं के नाम पर होटल, चौड़ी सड़कें, शराब, मांसाहार, पर्यावरण को नुकसान ही होगा। अगर ऊपर होटल खुल जायें तो आप भी ऊपर ही ठहरोगे, उल्टा-सीधा खाओगे, अशुद्धता भी करेंगे, शौच भी पवित्र पहाड़ पर जाओगे।

मुनि श्री ने उदाहरण देते हुए समझाया कि खाली प्लॉट पर ठेकेदार जैसे आपको एक या दो फ्लैट और कुछ पैसे देकर, उसका अपने कब्जे में ले लेता है, ठीक उसी तरह तीर्थ पर कुछ सुविधा लेकर, कब्जा उनका होगा, फिर आपका तीर्थ नहीं रहेगा। टोंकें ढूंढते रह जाओगे। अगर आपको पीड़ा है, तो 18 दिसंबर 2022 को लालकिला मैदान पर जरूर आना। जन-बल चाहिये, किसी का स्वार्थ नहीं।

मुनि श्री ने कहा कि हां, इस बार मेरी 25वीं दीक्षा जयंती है, हर बार जोर-शोर से मनाता हूं, पर इस बार प्रभु के चरणों में समर्पित, पूरे जीवन की सभी दीक्षा जयंती, सभी पारस प्रभु पर समर्पित, बस शिखरजी जैनों के ही पास रहे।

जनबल से ही सरकार झुकती है। आज सरकार हमारे तीर्थों के बारे में बात तक नहीं करना चाहती। पूछती है तुम हो ही कितने, बंटे हो। आज यह पीड़ा सबकी है। लॉकडाउन में भी कई दिन, हफ्ते, महीने बंद थे। अब सिर्फ एक दिन पूरे परिवार के साथ बैठना है लालमंदिर के सामने लालकिला मैदान में रविवार 18 दिसम्बर का।

मुनि श्री विहर्ष सागरजी ने कहा कि सरकार की शिखरजी की योजना ‘पर्यटन’ तलवार पर लगा हुआ शहद के समान है। इस शहद की मिठास तो मिलती है, लेकिन चखने पर जीभ ही कटती है। शिखरजी में सुविधाओं का वास्ता देकर अधिग्रहण की जैसे तैयारी है। आज दिक्कत यह है कि बड़े-बड़े जैन व्यापारी-कारपोरेट खुलकर बोल नहीं पाते, पर हम और आप तो कुछ कर सकते हैं। कुछ लिखित कार्यवाही कर रहे हैं, आश्वासन दे रहे हैं, पर अब शहद के बहकावे में नहीं आना।

18 दिसंबर 2022 को सबको लालकिला मैदान में उपस्थिति दर्ज करानी है, बड़ा जनसमूह चाहिये। वहां जैनेत्तर समाज, प्रशासन को दिखाना है। पर हम जगना नहीं चाहते। शिखरजी ना बने अगला गिरनार। हम सबको कर्तव्य है, शिखरजी की रक्षा करना। प्रात: 7 बजे से भक्ति आराधना होगी, क्योंकि पुण्य कार्य करने से शुभ होने लगता है। प्रमुख नेताओं को भी आमंत्रण दिया गया है, दीक्षा भी होगी। पर लक्ष्य एक ही रहेगा कि ‘शिखरजी बचाओ’। हर की उपस्थिति, हर की जागरूकता, वो रास्ता बना पाएगी, जहां से शिखरजी को सुरक्षा का बल मिलेगा।

मुनि श्री विजयेश सागरजी ने कहा कि राष्ट्रसंत विहर्ष सागरजी का अब एक ही संदेश है, जीवन यात्रा का एक ही लक्ष्य है, सम्मेद शिखरजी को बचाना। आज आवश्यकता हो गई है एक होने की, आज सरकार और प्रशासन हमारा साथ नहीं देता। जागृत होना होगा, सबसे ज्यादा टैक्स देने वाला जैन समाज हमेशा देता रहता है। हमें सरकार से कुछ नहीं चाहिये सम्मेद शिखरजी के लिये। बस इस तीर्थ पर गलत नजर ना डाले। जैन बनों, सम्प्रदायों में मत बंटो। जब 50 हजार जैन लालकिला पर इकट्ठा होगा, तो चर्चा जरूर होगी। आज पैसे से नहीं, सरकार संख्या बल से सुनती है।
शरद जैन / सान्ध्य महालक्ष्मी