28 जून 2022/ आषाढ़ कृष्ण अमावस /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
वैसे आप विश्वास नहीं करेंगे और होना भी नहीं चाहिए , चैनल महालक्ष्मी को बात पूरी तरह गलत और झूठी साबित होनी चाहिए । पर हकीकत, इससे कहीं परे है । जैनों के सबसे बड़े तीर्थ , अनादि निधन, शाश्वत श्री सम्मेद शिखरजी पर , बैठी एक बड़ी संस्थान, इस समय मानो पूरे जैन समाज के विरोध में ही काम करने को तत्पर है ।
वैसे देश की एक बड़ी संस्था, जिसको तीर्थों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदारी सौंपी गई है , वह भी समय-समय पर अपने कार्य में असफल दिखती रही है। पहले गिरनार् जी पर दत्तात्रेय नाम से पंजीकरण होकर गजट बन गया और फिर शिखरजी में 1984 में बिहार सरकार द्वारा श्री पारसनाथ क्षेत्र को वन्य जीव अभ्यारण घोषित कर दिया गया और उसी के आधार पर अगस्त 2019 में इसे इको सेंसेटिव जोन घोषित कर दिया गया । पर हमारी सबसे बड़ी संस्था, तीर्थ क्षेत्र कमेटी को ना पता चला , ना उसने कोई कार्यवाही की उसे तभी रोकने के लिए। यह एक बड़ी संस्था का सबसे बड़ा लापरवाही का नमूना है ।
अब इससे कहीं आगे बढ़ गई है बात। अब शिखरजी में बैठी एक बड़ी कमेटी, हमारे जैन तीर्थ क्षेत्र , श्री सम्मेद शिखरजी को पर्यटक स्थल घोषित कराने में जैसे लगी हुई है, यहां फोरलेन मार्ग को बनाने की अपील कर रही है , वह भी डुमरी गिरडीह पर , जहां से इस तीर्थ का कोई लेना देना नहीं। हां, पर्यटकों के लिए जरूर वह मददगार साबित हो सकता है।
आज पूरा देश इस बात पर जोर दे रहा है कि इसे ना पर्यटक स्थल घोषित किया जाए और गजट द्वारा अधिसूचित पारसनाथ क्षेत्र को ना ही वन्य जीव अभ्यारण के अंतर्गत लाया जाए, ना ही इसे इको सेंसेटिव जोन घोषित किया जाए। क्योंकि तीर्थ क्षेत्र पर इन सब के दुष्परिणाम भी सामने आते हैं । पर अब एक संस्था जैसे अपनी कोई सोची समझी साजिश के अंतर्गत , इस क्षेत्र को , तीर्थ जैन क्षेत्र करवाने की बजाए , पर्यटक स्थल घोषित कराने में तुली हुई है।
जहां पूरा देश विरोध कर रहा है, ज्ञापन दे रहा है , प्रदर्शन कर रहा है, और पिछले कुछ माह में तीन बार जंतर मंतर पर राष्ट्रीय स्तर के प्रदर्शन भी किए जा चुके हैं । राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री , मुख्यमंत्री , परिवहन मंत्री आदि अनेक को इस बारे में ज्ञापन दिए जा चुके हैं । यह मसला संसद में उठाया जा चुका है ।
तब भी एक संस्था जिसका नाम उजागर होना चाहिए, जिसपर अपने इस गलत कार्य के लिए कठोर कार्यवाही की जानी चाहिए। ऊपर से लेकर नीचे तक जो भी दोषी हैं , उन सब को सामने लाकर , जांच करनी चाहिए कि यह कौन है, जो जैन समाज के संस्था होकर भी जैन समाज की ही छाती में छुरा को घोंपने जैसा काम कर रही है।
पूरा देश आज एकजुट है । चाहे किसी संप्रदाय का है, चाहे किसी पंथ को मानता हो, चाहे किसी संत को मानता हो। सब चाहते हैं श्री सम्मेद शिखरजी पर्यटक स्थल नहीं बने, नाही यहां पर रोपवे चाहिए , ना ही इसके आसपास होटल चाहिए , नाही फोर वे लेनी चाहिए, ना ही किसी को, कोई तीर्थ क्षेत्र में कुटीर उद्योग चाहिए नहीं यहां पर, मुर्गी पालन, पशु पालन आदि चाहिए नहीं, यहां पर कोई मनोरंजन का साधन नहीं चाहिए । इसे पवित्र जैन तीर्थ क्षेत्र घोषित किया जाए , बस यही हर जैन बंधु की, हर अहिंसामय व्यक्ति की , हर शांति प्रिय धार्मिक व्यक्ति की भावना है, कि श्री सम्मेद शिखरजी तीर्थ क्षेत्र जैनों का था जैनों का है, और जैनों का ही सदा रहेगा।
उसमें पर्यटक जैसी बात को डालना, सरकार द्वारा और अब तो एक बड़ी जैन संस्थान, इसमें जैसे लग गई । यह बहुत ही शर्मनाक और शर्मसार है। आज रात्रि 8:00 बजे, यानी 28 जून, मंगलवार को रात्रि 8:00 बजे के विशेष एपिसोड में चैनल महालक्ष्मी इस पर और खुलासा करेगा कि कहां-कहां , कौन-कौन चूक करता है और जैन समाज के पैरों पर स्वयं को कुल्हाड़ी मरवा देता है , क्योंकि इस बारे में झारखंड में रविवार को जिस तरह से खबरें सभी अखबारों में छपी, वहां के शिक्षा मंत्री को ज्ञापन दिए।
उससे स्पष्ट है कि जैनों की एक बड़ी संस्था अंदर ही अंदर कुचक्र रचने में जैसे लगी हुई है, हो सकता है परोक्ष रूप में उनके साथ कई अन्य कमेटी भी हो, जो चाहती हो कि पर्यटक के नाम पर उनकी कमाई ज्यादा होगी। देखना ना भूलें , आज मंगलवार रात्रि 8:00 बजे चैनल महालक्ष्मी शिखरजी पर यह विशेष एपिसोड।