श्री #सम्मेद_शिखर तीर्थ क्षेत्र को जैन पवित्र तीर्थ क्षेत्र घोषित किया जाये और #पारसनाथ #वन्य_जीव_अभ्यारण्य व पारसनाथ वन्य जीव अभ्यारण्य पारिस्थितिकी संवेदी जोन अधिसूचना वापस ले- झारखंड मुख्यमंत्री जी को पत्र

0
531

12 जून 2022/ जयेष्ठ शुक्ल त्रियोदिशि /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/

दिनांक 11.06.2022

श्रीमान हेमंत सोरेन जी
मुख्यमंत्री जी
झारखण्ड राज्य सरकार
प्रथम तल, प्रोजेक्ट बिल्डिंग, सीएमओ,
राँची-834004 (झारखंड)
ईमेलः secretarytocmjharkhand@gmail.com

विषय – श्री सम्मेद शिखर तीर्थ क्षेत्र को जैन पवित्र तीर्थ क्षेत्र घोषित किया जाये और पारसनाथ वन्य जीव अभ्यारण्य व पारसनाथ वन्य जीव अभ्यारण्य पारिस्थितिकी संवेदी जोन अधिसूचना वापस लेने हेतु

माननीय महोदय,

जैन समाज की ओर से आपका ध्यान इंगित करना चाहुंगा कि हमारे सबसे पवित्र जैन तीर्थों में से एक व बीस तीर्थंकरों की निर्वाण भूमि पवित्र पर्वत श्री सम्मेद शिखरजी आपके राज्य झारखंड में स्थित है। हमारे लिये यह इतना पवित्र स्थान है कि यहां का कण-कण और रज हमारे लिये पूजनीय है।

मान्यवर हम जैन समुदाय के लिये हमारे तीर्थ , पर्वत, मंदिर ऐसे स्थान होते हैं जहां हम चमड़े से बने सामान लेकर जाना भी घोर पाप का कारण मानते हैं।

लेकिन विगत कुछ वर्षों से देखने में आ रहा है कि वहां जाने वाले अजैन लोग अपने साथ इतने पवित्र स्थान पर वाईन, नॉनवेज, जूते, चप्पल और लैदर जैसी बहुत ही अशुद्ध और अपवित्र चीजें लेकर जा रहे हैं। पर्यटन के नाम पर ऐसी अवांछनीय गतिविधियां वहां दिन पर दिन बढ़ती जा रही हैं।

महोदय ये एक ऐसा सिद्ध क्षेत्र है जहां जाकर जैन तीर्थंकरों ने सांसारिक जीवन को त्यागकर जन्म मरण से मुक्ति पायी थी और हम भी वहां जाकर उनकी तरह बनने की कामना करते हैं।


जैन धर्म शाकाहार, जीवदया और अहिंसा के लिये जाना जाता है। हम जैन लोग दूसरे व्यसनी और मांसाहारी लोगों को शाकाहारी और व्यसन मुक्त कर उनके जीवन को पवित्र बनाने की कोशिश करते हैं इसलिये यह हमारे लिये बिल्कुल बर्दाश्त से बाहर है कि उन्हीं पवित्र भूमि पर ऐसे व्यसनी और मांसाहारी लोग जाकर अपने जीवन को पवित्र बनाने के बजाय मौज – मस्ती, पार्टी और उच्छृंखल पूर्ण कार्य करें।

आदरणीय सर हम आपको बताना चाहेगें कि यह सब इसलिए हो रहा है कि 21 अगस्त, 1984 को तत्कालीन बिहार सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर हमारे पवित्र क्षेत्र को पारसनाथ वन्यजीव अभयारण्य घोषित कर दिया था और अब केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 2 अगस्त, 2019 को अधिसूचना जारीकर इसे पारसनाथ वन्य जीव अभ्यारण्य पारिस्थितिकी संवेदी जोन घोषित किया है अब हमारा निवेदन है कि इन दोनों अधिसूचना को तत्काल वापस लिया जाये और इसे जैन पवित्र तीर्थ क्षेत्र घोषित किया जाये।

इसके साथ ही जैन समुदाय सम्मेद शिखरजी के बारे में आपसे कुछ दूसरे निराकरण भी चाहता है ताकि ऐसी अविवेकपूर्ण गंदी हरकतों पर समय रहते विराम लगाया जा सके।
महोदय इस पवित्र स्थान को पवित्र बनाये रखने के लिये हमारी कुछ छोटी- छोटी मांगे हैं जैसे वैष्णो देवी तीर्थ की तरह यहां भी वंदना द्वार से पूर्व पंजीकरण व्यवस्था शुरू की जाये । गेट पर ही पुलिस द्वारा स्कैनर युक्त चौकिंग व्यवस्था हो ताकि कोई भी व्यक्ति वहां अशुद्ध चीजें लेकर ना जा सके।

इस तरह की व्यवस्था होने पर वहां के स्थानीय लोगों को खूब रोजगार भी मिलेगा और झारखंड जैसा खूबसूरत और छोटा राज्य यदि जैन तीर्थ के रुप में विकसित होता है तो वहां विकास के लिये भी अपार संभावनाओं के द्वार खुलेंगे क्योंकि जैन समुदाय एक ऐसा समुदाय है जो देश के विकास में अपना सबसे ज्यादा योगदान देता है।

लेकिन अभी आपके द्वारा इस विषय पर कुछ भी संज्ञान ना लिये जाने के कारण जैन समुदाय अहिंसावादी अस्त्रों से आंदोलन, प्रदर्शन हड़ताल और अनशन करने के लिये मजबूर हो रहा है और अगर ऐसा होता है तो कहीं न कहीं इसका प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।

इसलिये हमें उम्मीद है कि आप हमारी इन मांगों का जरूर निराकरण करेंगे और अगर आप ऐसा करते हैं तो इसके लिये जैन समुदाय आपका हमेशा आभारी रहेगा और ऐसा करने के लिये आपका नाम जैन धर्म के इतिहास में हमेशा के लिये अंकित होगा।
उचित त्वरित कार्यवही की अपेक्षा में

पत्र लेखन सहयोग : स्वाती जैन (पत्रकार)