आने वाली पीढियां आप से पूछेंगी – “क्या आप ने श्री सम्मेद शिखर जी की स्वतंत्र पहचान, पवित्रता और संरक्षण के लिए कुछ किया था?”

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31 मई 2022/ जयेष्ठ शुक्ल एकम /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
आज से कुछ वर्षो बाद ही जब आप से इस प्रश्न का जबाब पूछा जाएगा तो आपके पास क्या जबाब होगा?

यदि जबाब ना होगा, तो आने वाले पीढ़ियां आपको उल्हाना देंगी कि दुनिया का इतना बड़ा कोई काम नही रहा होगा जिसके लिए आप कल अपने सर्वोच्च शास्वत तीर्थ क्षेत्र श्री सम्मेद शिखर जी के कार्य को छोड़ दिया!

चंद भीड़ के बहाने, अव्यवस्था के बहाने आप विश्व सर्वोच्च जैन तीर्थ की रक्षा करने से चूक जाओ, यह उचित नही।

अभी भी कुछ नही बिगड़ा, मन बनाइए और चलिए 6 जून 2022 को जंतर मंतर, दिल्ली, पुण्यार्जन करने शिखर जी की वंदना करने का

और हां आप दिल्ली से थोड़ा दूर रहते हैं, तो निश्चय ही आपको आने में असुविधा हो सकती है ।अगर आए तो बहुत बहुत अच्छा । पर हां , नहीं तो आप , अपने अपने क्षेत्र में जिला अधिकारी को मिलकर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति महोदय के नाम पत्र लिखें और ज्ञापन दीजिए, और उसमें लिखिए कि श्री सम्मेद शिखरजी यानी पारसनाथ हिल्स, जैन समाज का अनादि निधन शाश्वत तीर्थ है।

इसको वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में , गजट में प्रकाशित करना, उस रूप में दिखाना, या यहां पर पर्यटन को बढ़ावा देना, सड़कें चौड़ी करना , रात में भी गतिविधियां बढ़ाना , मुर्गी पालन, पशु पालन, आदि धंधे शुरू करना, यह सब इस क्षेत्र की पवित्रता और पावनता के पूरी तरह विपरीत है। और जैन समाज, इसका पुरजोर विरोध करता है ।

इस बारे में आप जगह-जगह ज्ञापन दें । जगह-जगह बैनर लगाकर विरोध जताएं ,क्योंकि छोटी-छोटी शुरुआत ही बड़ी सफलता की मंजिल तक पहुंचाती है।
-सचिन जैन,बड़ौत