शिखरजी पर्यावरण को प्रदूषित करने के लिए हर वर्ष 2 से 3 करोड़ दान की बर्बादी ॰ तीर्थक्षेत्र कमेटी ने इसे रोकने के लिये किये पॉजीटिव प्रयास

0
730

॰ तलहटी में छेदन और दोहन से पर्वत कमजोर होने की आशंका
11 अक्टूबर 2024/ अश्विन शुक्ल अष्टमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ शरद जैन /

आप शायद यह सोच भी नहीं सकते कि आपका श्री सम्मेदशिखरजी की विभिन्न कोठियों में दिये गये दान में से 2 से 3 करोड़ रुपये तो उस पावन तीर्थ के पर्यावरण को प्रदूषित करने में खर्च करने को मजबूर हो रहे हैं। हैरानगी, पर्यावरण को हरित रखने के लिये नहीं, बल्कि इतनी बड़ी राशि उस पावन तीर्थ को प्रदूषित करने में मानो दुरुपयोग की जा रही है। जी हां, चैनल महालक्ष्मी टीम अभी हाल में भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष बाबू जम्बू प्रसाद जैन तथा उ.प्र. उत्तराखंड अंचल के अध्यक्ष जवाहर लाल जैनजी के साथ सम्मेदशिखरजी पहुंची, वहां की समस्याओं को जानकर, उन्हें खत्म करने की भावना के साथ।

पता चला कि इस तीर्थ पर कोठियों-कमेटियों की रोजाना यात्रियों से तू-तू, मैं-मैं होती है, बिजली के नियमित जाने के कारण। दशलक्षण पर्व के तीन दिन तो केवल 5 से 30 मिनट ही पूरे 24 घंटे में बिजली आई। प्रकाश भवन से बिजली गुल का रिकॉर्ड देखकर सब स्पष्ट हो गया। फिर बीसपंथी कोठी के प्रबंधक कपिल चौगले ने बताया कि 10 से 12 घंटे, कभी 18 घंटे तक बिजली जाने के कारण 125 केवी तक के बड़े-बड़े जनरेटर चलते हैं, जिनका शोर व धुंआ इस क्षेत्र के पर्यावरण को लगातार प्रदूषित कर रहा है। इन आंकड़ों से स्पष्ट हो गया कि 2 से 3 करोड़ रुपये का डीजल हर वर्ष जनरेटरों में डाला जाता है। अगर स्वर्ण मंदिर, वैष्णो देवी जैसे अन्य तीर्थों की तरह यहां भी यात्रियों की सुविधा के लिए 24 घंटे बिजली मिल जाये, तो पर्यावरण का नुकसान तो बचेगा ही, साथ ही 75 फीसदी दान राशि की बर्बादी भी रुक सकेगी।

इसके लिये तीर्थक्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष के नेतृत्व में एक टीम रांची गई और वहां झारखण्ड विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के मुख्य प्रबंध निदेशक के के वर्मा से क्षेत्र पर बिजली की व्यवस्था की विस्तृत चर्चा कर लिखित ज्ञापन भी दिया। के के वर्मा जी ने बताया कि श्री सम्मेदशिखरजी के मधुबन क्षेत्र पर बिजली व्यवस्था की जानकारी उन्हें भी है और उसे हल करने के लिये वह स्वयं भी प्रयासरत हैं। उन्होंने 11 हजार किलोवाट की पृथक लाइन डलवाने का इंतजाम इस अक्टूबर माह के अंत तक या नवम्बर के प्रारम्भ तक कार्य पूरा होने का आश्वासन दिया। अब आशा कर सकते हैं कि शिखरजी मधुबन क्षेत्र में बिजली की समस्या का शीघ्र हल मिल सकेगा।

वहीं बीसपंथी कोठी के प्रबंधक ने चैनल महालक्ष्मी को जानकारी दी कि कुछ वर्ष पहले तक अनिल झील से यहां पानी आता था तथा बिना बिजली के सायफन की सहायता के 7-8 मंजिल तक चढ़ जाता था। पर गांव वालों ने उस पर रोक लगा दी। तब बड़कर नदी से जल की व्यवस्था की गई, पर उससे आपूर्ति नहीं होती, बोरिंग करनी पड़ती है। कहीं 800 से हजार फुट बोरिंग के बाद भी जल नहीं मिलता, तो दूसरी जगह बोरिंग करते हैं। अभी हाल में बीसपंथी कोठी ने लाखों रुपये खर्च करके 3 जगह बोरिंग कराई, पर पानी नहीं निकला। इस तरह जगह-जगह बोरिंग से पहाड़ की जड़ पर असर पड़ता है, कमजोर होता है, भूजल का दोहन भी असर डालता है। इस ओर भी प्रशासन को त्वरित उचित ध्यान देना चाहिए।
इस बारे में पूरी जानकारी आप चैनल महालक्ष्मी के एपिसोड नं. 2901 में देख सकते हैं।