तीर्थंकर श्री महावीर स्वामी के 2550वें मोक्ष कल्याणक वर्ष में हो यही आह्वान : गिरनार पर मिले दर्शन-पूजा का समानाधिकार

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08 नवंबर 2023 / कार्तिक कृष्ण दशमी/चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी / शरद जैन/EXCLUSIVE
हां, हर किसी का 50वां, 100वां, कोई दिवस मनाते बहुत हर्ष होता है और जब वो तीर्थंकर का 2550वां दिवस हो तो हर्ष, आनंद के कहने ही क्या। अभी हाल में इसी आनंद को आत्मसात करने के लिए सान्ध्य महालक्ष्मी, चैनल महालक्ष्मी टीम 24वें तीर्थंकर श्री महावीर स्वामीजी की कल्याणक भूमियों – कुण्डलपुर -जमुई – पावापुरी में दर्शन करने गई। इसमें पूरा सहयोग दिया कोडरमा के उद्योगपति श्री सुरेश जैन झांझरी ने (महामंत्री श्री शीतलनाथ दिगंबर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी, भद्दलपुर इटखोरी, जो तीर्थंकर श्री शीतलनाथ स्वामी का जन्म कल्याणक धरा पर गणिनी आर्यिका ज्ञानमति माताजी के आशीर्वाद से भव्य जिनालय का निर्माण करा रहे हैं)।

महावीर स्वामी की जन्मस्थली बासोकुण्ड, वैशाली हो या कुण्डलपुर, इस स्थान के विवाद से दूर, पावन कल्याणक धरा के दर्शन, सीढ़िया चढ़कर तपस्थली के जमुई में दर्शन और फिर पावापुरी के धर्मशाला वाले जिनालय से पदम सरोवर के बीच चरण स्थली के दर्शन कितना आनंदित करते हैं, इसका अनुभव शब्दों में नहीं बांधा जा सकता।

शायद सिद्ध क्षेत्रों में यही पावापुरी के चरण स्थली एकमात्र हैं, जहां चरणों के पास तीर्थंकर प्रतिमा नहीं है। वैसे तो अनादिनिधन तीर्थ शिखरजी पर ऊपर चढ़ने पर चोपड़ाकुंड के बाद प्रतिमाएं नहीं है। कहा जाता है कि देवों द्वारा निर्मित चरणों के बाद वहां प्रतिमायें विराजित की गई थी, पर बार-बार प्राकृतिक बदलाव के चलते शिखर व स्थान सिकुड़ते गये और टोंकों पर अब केवल चरण ही हैं। गिरनार जी में जहां चरण हैं, वहां उकेरी हुई प्रतिमा भी है, जिसे कोर्ट के आदेश के बावजूद खुलकर अवमानना करते हुए उसे शंकराचार्य के नाम से बदलने की कोशिश की गई हैं।

पर यहां पावापुरी में तो तीन चरणों – बीच में तीर्थंकर श्री महावीर स्वामी के देव निर्मित चरण व दोनों बायीं – दायीं तरफ दो प्रमुख गणधरों-इन्द्रभूति गौतम और सुधर्म गणधर के चरण प्रतिष्ठित हैं। दिगंबर-श्वेताम्बर विवाद के चलते यहां प्रतिमा न स्थापित होने का निर्णय प्रिवि काऊंसिल दे चुकी है।

कहा जाता है कि हर कार्तिक अमावस को ब्रह्ममुहूर्त में शोभायात्रा के बाद जैसे ही निर्वाण लाडू चढ़ता है तो चरणों के ऊपर लगा छत्र घूमने लग जाता है। यह रहस्य देख तो हर कोई लेता है, पर कैसे ये सब होता है, यह राज ही रहता है। इस बार 2550वें निर्वाण कल्याणक के बाद पूरे वर्ष इसको विभिन्न कार्यक्रमों से यादगार बनाया जाएगा।

पर इस बार मानो लगता है कि यह पावापुरी और ऋषभ विहार, दिल्ली में कृत्रिम रचना में बनी पावापुरी, दोनों ही मानो कह रहे हैं, इस वर्ष को तीर्थों की चल-अचल की सुरक्षा में समर्पण कर दें, गिरनार के लिये संतों का उदघोष हो रहा है, लम्बे समय तक सो रही बड़ी कमेटियों ने कुछ हरकत दिखाई है। यह सब इस बार नीचे से शुरू हुआ, संतों ने साथ दिया विशेषकर आचार्य श्री सुनील सागरजी ने, और जब एक आवाज उठने लगी तो मुनि पुंगव श्री सुधा सागरजी ने उद्घोष किया। लगातार गिरनार पर चैनल महालक्ष्मी ने समाज को अपडेट रखा, अतीत और वर्तमान से, बदलते स्वरूप से, मेहनत रंग लाई। संतों का साथ बढ़ता गया, आचार्य गुणधरनंदी जी, आचार्य पुलक सागरजी, मुनि प्रणम्य सागरजी, मुनि आदित्य सागरजी ने उद्घोष किया।

उधर जैनों को ही दिगंबर-श्वेतांबर में बांटने, दिगम्बरों को रोकने, हिंदू भाइयों को जैनों के खिलाफ भड़काने के लिए, हर राजनीतिक हथकंडा बिसात पर खेला दत्तात्रेय के ट्रस्टी ने।