जैनों का #गिरनार से मिटा दिया नाम- तीर्थंकर श्री #नेमिनाथ जी चरण बन गये #दत्तात्रेय चरण पादुका

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॰ हम गिरनार बचाओ के नाम पर करोड़ बटोरते रह गये, पर टोंक पर एक रुपया नहीं लगाया
॰ समाज के सोलह सवालों का क्या जवा देंगी कमेटियां
॰ जो हजारों सालों से नहीं हुआ, हमारी लापरवाही से 20-30 में हो गया

सान्ध्य महालक्ष्मी / 27 अगस्त 2021
रक्षा सूत्र बंधवाने का सिलसिला कई वर्षों से करते आ रहे हैं, पर क्या इसके प्रति हमने कभी अपना कर्तव्य भी निभाया है? रक्षाबंधन के बाद यह चिंतन का विषय है। आज हमारे कई तीर्थ हमसे छिनते जा रहे हैं और हम उसके बारे में चार लाइन पढ़ते हैं, पर स्वयं कुछ करने के लिये एक कदम नहीं बढ़ाते, शायद यही कारण है कि समय-समय हमारे तीर्थों को बदला जाता है – छीना जाता है और उसके लिए अपनी जिम्मेदारी से कमेटियों को हटाने की बजाय, ठीकरा दूसरों पर छोड़ दिया जाता है। इसका सबसे नवीनतम उदाहरण है गिरनार की पांचवीं टोंक। जी हां, वही 22वें तीर्थंकर श्री नेमिनाथ की मोक्षस्थली जो 20-30 साल पहले तक जैनों के नियंत्रण में थी, पर फिर उस पर धीरे-धीरे दूसरे सम्प्रदाय ने कब्जा जमाने में ज्यादा वक्त नहीं लगा।
कारण गिनाये गये
1. हम अल्पसंख्यक, वो बहुसंख्यक
2. जैन यात्री वहां चंद सैकड़ों में जाते हैं तथा वो हजारों की संख्या में
3. अदालत ने वहां पर यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दे रखा है।

बस इन्हीं को रटते-जपते खेला हो गया, हम तो मैदान में अपनी टीम उतारने में फंसे रहे और दूसरी टीम की जीत का हूटर बज गया।

खिसक गई श्री नेमिनाथ भगवान की मोक्ष स्थली, जिस जगह पर श्री नेमिनाथ जी के चरणों को छूकर हम सौभाग्य की अनुभूति किया करते थे, वहां पर बाकायदा लिखा हुआ है, दत्तात्रेय चरण पादुका। इस बदलाव पर स्याही पोतने से पहले कुछ सवाल पूछते हैं, जिनका जवाब समाज को देना चाहिए-

1. अगर यथास्थिति का स्टे लगा था, तो जब दूसरा सम्प्रदाय वहां पर अनधिकृत निर्माण कर रहा था, उसकी कितनी वीडियो फुटेज हमने बना कर समय-समय पर अदालत को सौंपी? – शून्य

2. यहां की जिम्मेदारी निभा रही हमारी बड़ी संस्थाओं के अध्यक्ष – महामंत्री ने पिछले कुछ समय में 5वीं टोंक का दर्शन और वहां की स्थिति का अवलोकन किया? – शून्य

3. पिछले 30-40 सालों में दूसरे सम्प्रदाय ने 2-4 छोटी गुमटी मन्दिरों की गिनती को 50 के पार पहुंचा दिया, हमने अपनी टोंकों पर ही क्या जीर्णोद्धार किया? – शून्य

4. गिरनार बचाओ के नाम पर जितनी भी राशि आई, चाहे वह एक करोड़ हो या 10-20 करोड़, उसका कितना उपयोग दूसरी से पांचवीं टोंक पर हुआ? – शून्य

5. हकीकत में उसका उपयोग नीचे धर्मशालायें – मंदिर बनाने में किया गया, जबकि उनकी पहचान और जरूरत ऊपर टोंकों के कारण थी।

6. बंडीलाल कारखाना व निर्मल ध्यान केन्द्र के विकास निर्माण, वहां की धर्मशालाओं में कमरे 5-10 से 400-500 तक हो गये, क्या यह बिना यात्रियों के कारण हुआ। हकीकत में 30 साल पहले जितने यात्री यहां आते थे, आज उससे 10 गुना आते हैं, तभी तो नीचे धर्मशालाओं के कमरे 10 गुना किये गये।

7. हजारों वर्ष से हमारी चरणों की टोंकों का पंजीयन नहीं कराया गया, न ही सौराष्ट्र सरकार के समय, न गुजरात सरकार के समय और उन्होंने चंद वर्ष पहले उसका दत्तात्रेय टोंक के नाम से पंजीयन भी करा लिया, और हमने कोई सफल विरोध तक नहीं किया।

8. ऊपर पांचवीं टोंक की अब तक समय-समय पर कितनी वीडियो बनाई गई हैं? – शून्य

9. जब 15 अप्रैल 2004 को बंडीलाल कारखाना द्वारा केस नं. 6428 दर्ज कराया गया, और 17 फरवरी 2005 को स्टे मिला कि दोनों सम्प्रदाय अपनी-अपनी मान्यतानुसार वहां पूजादि कर सकते हैं, तब वहां सीसीटीवी आदि का सुरक्षा के लिये कोई पुख्ता इंतजाम क्यों नहीं किया गया?

॰ जब पहली बार पूजा करने, जयकारे बोलने, अर्घ्य चढ़ाने से रोका गया तो तत्काल कोई लिखित शिकायत, सबूतों के साथ अदालत में की गई कि आपके आर्डर की अवमानना की जा रही है।
॰ यात्रियों के लिये तत्काल तब सुरक्षा गार्डों की क्या कोई व्यवस्था की गई थी?

10. स्टे के साथ मंजूरी मिलने के बाद वहां पर नियमित 2-3 पुजारी व सुरक्षा गार्डों की नियुक्ति 5वीं टोंक पर क्यों नहीं की गई और उनके ठहरने की व्यवस्था उसी के आसपास क्यों नहीं की गई?

11. दूसरे सम्प्रदाय ने सौ कदम दूर यात्रियों के लिये एक नि:शुल्क भोजनशाला तक बना ली, पर हमारे यहां से कोई ऐसा कार्य ऊपर क्यों नहीं हुआ?

12. कितनी बार वहां टोंकों पर जाने के लिए सूचना पट्ट लगाये गये, अनमोल संदेशों के बोर्ड लगाये गये।

13. कितनी बार पदाधिकारियों ने स्वयं या उनके द्वारा अधिकृत रूप से नियुक्त अधिकारियों द्वारा पांचवीं टोंक का अवलोकन किया गया व परिवर्तन होने पर सूचना दी गई।

14. 13 अगस्त को एक यात्री लोकेश जैन के अजैन रसोइये ने जो फोटो खींचा, वायरल हुआ, जिसके बाद पता चला कि हम तो लुट गये, उससे पहले उस स्थिति का कमेटियों को क्यों पता नहीं था?

15. एक प्रमुख सवाल, श्री नेमिनाथ टोंक बचाओ, गिरनार बचाओं और उसकी सुरक्षा के लिये 25-30 सालों में जैन समाज से कितना दान एकत्रित हुआ और उसका कहां-कहां उपयोग और कहां-कहां दुरुपयोग किया गया।

16. पांचवीं-चौथी-तीसरी – दूसरी टोंक पर एक रुपया भी लगाने की बजाय, नीचे निर्माण करने में करोड़ों लगा दिये गये। क्या ऐसे ही पांचवी टोंक की सुरक्षा हो सकती है?

आज की हकीकत यह है कि वहां पर 22वें तीर्थंकर की नेमिनाथ जी के चरणों का नामो निशान नहीं है, सब बदल गया, अब उसे दत्तात्रेय मंदिर बना दिया गया है, और इसे कई तरह से किया गया है –

1. जहां पहले कभी केवल चरण थे, उसके बाद एक छोटी मूर्ति दत्तात्रेय के नाम से बैठा दी और फिर बड़ी मूर्ति, जैन पदाधिकारियों को यह भी नहीं मालूम किन रातों में ऐसा हुआ।
2. चारों तरफ रेलिंग लगाई गई, और फिर उसे नई स्टील से बदल दिया गया।
3. पहले चरणों पर कपड़ा रखते थे, अब उसे पूरी तरह फूलों से ढक दिया गया।
3. मूल फर्श को हटाकर नया काले ग्रेनाइट का फर्श बनवा दिया, जिसमें खोद दिया गया है कि दत्तात्रेय चरण पादुका, इसका निर्माण कुछ दिनों में हुआ होगा, यह कमेटी को कुछ पता नहीं, जब एक यात्री द्वारा फोटो 13 अगस्त 2021 को वायरल हुई, तब हमारी कमेटियों की नींद खुली।
5. दत्तात्रेय की मूर्ति के चारों ओर चांदी का मेहराब लगा दिया गया।
6. चरणों पर ऊपर केसर रंग दी गई है।

क्या रह गया है, बहाने हजारों मिलेंगे, पर अगर अपने सिद्धक्षेत्र की सुरक्षा नहीं कर सके, तो जैन कहलाने लायक भी नहीं है। कौन है दोषी? किसकी है लापरवाही? कौन करता रहा लीपा पोती? करोड़ों के दान का ऊपर टोंकों पर उपयोग नहीं? सबसे शिक्षित-समृद्ध कहे जाने वाले समाज के लिये इससे शर्मसार बात हो ही नहीं सकती।

(इसका पूरा कड़वा सच 5वीं टोंक की वीडियो के साथ पहली बार यू-ट्यूब पर channelmahalaxmi के रविवार 22 अगस्त 2021 को आये एपिसोड 699 ‘नेमिनाथ जी के चरण गायब, बन गये अब दत्तात्रेय चरण’ https://youtu.be/5qo8mzyFeEE लिंक पर देखिये।)