सराक बाहुल्य क्षेत्र बिहार, झारखण्ड, बंगाल, उड़ीसा में पुरातत्व की दृष्टि से जैन संस्कृति का पुरावैभव यत्र-तत्र देखा जा सकता है| इधर-उधर बिखरे पड़े बहुमूल्य कलापूर्ण जैन मंदिर, मूर्तियाँ और विपुल जैन कीर्तियाँ सराक बंधुओं की जैन समाज के प्रति आस्था और समर्पण की जीवंत गाथा गाती नजर आती हैं| इनका विगत गौरव, पूर्वजों का धर्मं व संस्कार इनकी विरासत हैं|
कोलकाता, पटना और भुवनेश्वर के संग्रहालयों में सराक क्षेत्र से प्राप्त जैन प्रतिमाएं रखी हुई हैं| ये गुप्त युग की कला का प्रतिनिधित्व करती हैं| यहाँ पाषाण और धातु की अन्य कई जैन मूर्तियाँ हैं, जिनका काल ईसा कि ९वीं शताब्दी मन जाता है, साथ ही अनेको स्थानों पर खण्डित-अखण्डित जैन प्रतिमायें, ध्वस्त मंदिर, जैन अवशेष बिखरे पड़े हैं, जिनमे प्रमुख हैं- बिहार में गया जिले के अंतर्गत पचार पहाड़ी, बह्यजूनी पहाड़ी|
· देवलतांड प्राचीन एवं भव्य दिगंबर जैन मंदिर लगभग १००० वर्ष प्राचीन है| इसका भव्य शिखर अत्यंत मनोहारी है तथा यहाँ भगवान पार्श्वनाथ की खड्गासन प्रतिमा विराजमान है|