कामा जैन इतिहास में प्रथम बार हुआ दिगंबर श्वेतांबर संत समागम- मां सुलाती है सन्त जगाते हैं हम आईना नही देखते, दिखाते हैं

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1908

संतों के प्रवचन सुन उपस्थित समुदाय हुआ भावविभोर, किया एक दिन और रुकने का निमंत्रण जिसे दोनों संतो ने सहर्ष स्वीकृति प्रदान कर भक्तों पर किया उपकार

दुखो को सहन करो, क्रोध का शमन करो और इच्छाओं का दमन करो की नीति को अपनाना ही जीवन की सार्थकता है :- धैर्य सुंदर महाराज
मां सुलाती है सन्त जगाते हैं
हम आईना नही देखते, दिखाते हैं:- निर्मोह सुंदर महाराज
संतों की वाणी सुन ही जीवन को दिशा मिलती है ।अचेतन तीर्थ के दर्शन करने के साथ ही चेतन तीर्थ की वंदना अवश्य करनी चाहिए :- आचार्य श्री ज्ञान भूषण महाराज
कामा धार्मिक नगरी तो है ही साथ ही संतों का सम्मान करने में भी अग्रणी है उक्त उद्गार प्रवचनों के दौरान संतों ने प्रकट किए। इस अवसर पर धैर्य सुंदर महाराज ने कहा की दुखो को सहन करो, क्रोध का शमन करो और इच्छाओं का दमन करो की नीति अपनाना ही जीवन की सार्थकता है । एक मंच पर संतो को बैठा देख उपस्थित समुदाय भाव विभोर हो गया तो इस अवसर पर निर्मोह सुंदर महाराज ने कहा कि
मां बच्चे को लोरी सुना सुलाती है वही सन्त जगाते हैं आगे कहा कि हम स्वयं आईना नही देखते किन्तु समाज को आइना दिखाते हैं। कार्यक्रम में भजनों की प्रस्तुति भी हुई दिगम्बर जैन आचार्य ज्ञानभूषण महाराज ने कहा कि संतों की वाणी सुन ही जीवन को दिशा मिलती है। अचेतन तीर्थ के दर्शन करने के साथ ही चेतन तीर्थ सन्तो की वंदना अवश्य करनी चाहिए ।कामा धार्मिक नगरी तो है ही साथ ही संतों का सम्मान करने में भी अग्रणी है । कार्यक्रम का संचालन संजय जैन बड़जात्या ने किया।
संजय जैन बड़जात्या कामां